मन की
विभिन्न चेष्टाओं के
फिसलने धरातल पर
असंख्य आवर्तन
धकेलती कुण्ठाओं के.
पूर्वजों से
अर्जित संस्कारों का क्षय
आत्मघाती विचारों का
प्रस्फुटन और लय.
क्षितिज अवसादों के,
दिखाते शिथिल आयामों की
सूनी डगर
टूटते स्वप्नों पर
पथराई नजर.
उभरती शंकाएं, विचलित श्रद्धाएं.
हाहाकार करते, प्रश्रय खोजते
थके हारे प्रयास
अनन्त शून्य की अनन्त यात्रा
भय से बिखरा विश्वास.
त्रासित प्राण
कब लेगा विश्राम?
या पाएगा परित्राण
जब होगा प्रयाण?
Comment
फिसलते धरातल का अर्थ इस हिसाब से कत्तई न लें कि धरातल फिसलने लगी. हालाँकि शाब्दिक अर्थ यही होता है. शब्दार्थ के अलावे निहितार्थ औ भावारथ भी बिम्ब को कई-कई मायनों में अभिव्यक्त करते हैं.
सादर
मान्यवर पांडेयजी,
आभार. पहले भी निवेदन कर चूका हूँ कि फिसलन भरे धरातल को फिसलनी या 'फिसलने धरातल' लिखने के अतिरिक्त विकल्प नहीं मिला. हम फिसलते हैं, धरातल नहीं. जिसे dialect कहा जाता है, भाषा के स्थानीय स्वरुप को, वो यहाँ राजस्थान में काफी फिसलना या फिसलनी है और फिसलने होने पर यहाँ तो कोई अंतर नहीं पड़ता. अब जो जिस प्रकार से फिसलना चाहे, स्वतंत्र है, मुझे किसी परिवर्तन, सुझाव या स्वरुपांतर से कोई आपत्ति नहीं है. आपकी अकिंचन पर दृष्टि अदृष्ट के भय को कम करती है!
’आज’ का बियाबान कितना भयातुर करता है !
सुन्दर रचना के लिए हृदय से बधाई.
मन की
विभिन्न चेष्टाओं के
फिसलने धरातल पर
असंख्य आवर्तन
धकेलती कुण्ठाओं के.... . में फिसलते धरातल होना समीचीन होगा.
सादर
उभरती शंकाएं, विचलित श्रद्धाएं.
हाहाकार करते, प्रश्रय खोजते
थके हारे प्रयास
अनन्त शून्य की अनन्त यात्रा
भय से बिखरा विश्वास.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
बधाई सर जी
सभी सुधि पाठकों का आभार: सुझाव 'फिसलनी धरातल' के सही और स्वीकार्य. (परिणाम तो फिसलन ही...!!!)
सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय. "फिसलने" को "फिसलनी" किया जा सकता है क्या?
बहुत सुन्दर प्रयास! बधाई आपको।
उभरती शंकाएं, विचलित श्रद्धाएं.
अंतर के द्वंद को उभरती रचना पर शुभकामनायें स्वीकारे आदरणीय सुरेन्द्र जी!
वैसे फिसलने धरातल का एक और विकल्प हो सकता है फिसलनी धरातल .....
सादर गीतिका 'वेदिका'
पूर्वजों से
अर्जित संस्कारों का क्षय
आत्मघाती विचारों का
प्रस्फुटन और लय.
क्षितिज अवसादों के,
दिखाते शिथिल आयामों की
सूनी डगर
टूटते स्वप्नों पर
पथराई नजर.
अच्छी रचना हुई है आदरणीय !हार्दिक बधाई
राजेशजी की भाव ग्राहिता को प्रणाम. मेरी अभिव्यक्ति की कमजोरी है... फिसलन भरे धरातल को फिसलानी या 'फिसलने धरातल' लिखने के अतिरिक्त विकल्प नहीं मिला. हम फिसलते हैं, धरातल नहीं...पृष्ठभूमि की ग्रहणशीलता के लिए आपका आभार.
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