नववर्ष
नव वर्ष हमारा आ भी गया, शुभ कामना छा भी गया।
इक वर्ष हमारा गुजर गया,इक वर्ष हमारा बढ़ भी गया।।
हम इस वर्ष को प्यार करें, मिलकर शांति बिहार करे।
नहीं जात-पात आडम्बर हो,मिल सम्प्रदाय विचार करें।।
यहां आतंक वाद की बेला है,चहुं दिश जग अंधियारा है।
इस वर्ष के नूतन प्रभात से, हमको आतंक मिटाना है।।
नववर्ष हमारा हो मंगल, जन-जन की विकृति दूर करें।
न भेद-भाव न धर्म-देश, विश्वबंधुत्व का स्वर गूंज करें।।
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय केवल जी सादर
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
आपकी रचना कर्म के प्रति ललक प्रभावित करती है
किंतु पता नही क्यूँ आपके कथ्य और शिल्प संभवतः जल्दबाज़ी की भेंट चढ़ जाते हैं
कृपया अपनी रचना को समय देना आरंभ कीजिए
ताकि समस्त ओ बी ओ परिवार आपकी रचनाओं का आनंद ले सके
सादर
आ0 लड़ीवाला जी, जी सर, आपके स्नेह आशीष के लिए आपका बहुत बहुत आभार, आपको भी नववर्ष एवं चेटीचन्द के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई हो। सादर,
नव वर्ष नया काज हो, उन्नति का आधार ,
नव जोश भर तन मन में, नव चेतन संचार।
नव संवत्सर,२०७०, गुडी पडवा, एवं चेटी-चंड के शुभ मंगल कामनाए
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