For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं ,

हम ही से सीख , हम पे वार करते हैं , 

अहमक समझता हे ज़माना , मुस्तकिल तौर पे,

हम उनसे प्यार और वो इनकार करते  हैं ,

कब ज़नाज़ा मेरे अर्मा का दर से उनके निकले,

फक्र हे हर वक़्त यही इंतज़ार करते हैं ,

अक्स यार का बना दिया मेरे ही लहू से ,

कितनी हे वफ़ा , इस तरह इकरार करते हैं ,

मुकरर किया हे निगेरान जिन्हे हर बात में ,

अब वही मौत का सामाअं तैयार करते हैं ,

अश्क

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 15, 2013 at 5:48pm

आदरणीय कत्याल जी

बेहद सुन्दर ख्याल पेश किये हैं आपने इन द्विपदियों के ज़रिए, लेकिन //वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं // में "वफ़ा ए इश्क" से आपकी क्या मुराद है ? ज़रा वजाहत फरमाएं.

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 13, 2013 at 6:36pm

अशोक कत्याल जी आपके शब्द शैली  आपके अन्दर एक अच्छा ग़ज़लकार होने की ओर इशारा कर रही है बाकी सबने कह ही दिया है आप मुख्य पेज पर इंगित किये समूह को क्लिक करके ग़ज़ल विधा में प्रवेश करें आप पढेंगे तो ग़ज़ल विधा की तकनीकियों  से परिचित होंगे  बहरहाल इस सुन्दर प्रस्तुती पर दाद कबूलें 

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 12, 2013 at 8:40pm

आदरणिया प्राची जी ,

सादर प्रणाम ,

हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया , में ग़ज़ल विधा को समझना चाहता हूँ ,

साथ ही साथ और अन्य विधाएँ , फलस्वरूप एक सुन्दर रचना बन सके ,

जो तकनीकी एवन व्याकरण की द्रष्टी से भी संपूर्ण हो ,

कृपया किसी किताब का संदर्भ दे सकें तो मेरे लिए  अत्‍यंत हर्ष का बिषेय रहेगा

. साथ ही साथ में सदैव आप सभी के स्नेह एवम् मार्गदर्शन का अभिलाषी रहूँगा .

सदर ,

अश्क


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 12, 2013 at 8:05pm

मन में उठते भावों को सुन्दर शब्द दिए हैं...

गज़ल के बहुत करीब है ये रचना, बहुत जल्दी ही सधी हुई  गज़ल कहनी सीख जायेंगे.

हम सभी को इंतज़ार रहेगा आपकी गज़लों का.

शुभेच्छाएँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 3:23pm

आदरणीय अशोक जी कहे को संज्ञान करने हेतु आभार
ये मंच आपको बहुत कुछ सिखाता है बशर्ते आप मे सीखने की ललक होनी चाहिए
मैने भी इसी मंच पर सब सीखा है
गुरुजनों ने अपनी स्नेहिल झिड़कियाँ दे दे कर बहुत कुछ सधवाया है
यकीन मानिए आप स्वयं मे जल्द ही बदलाव पाएँगे
शुभकामनाएँ

Comment by अशोक कत्याल "अश्क" on April 12, 2013 at 3:13pm

आदरणीय  संदीप जी / आदरणीय त्रिपाठी जी ,

बहुत आभार , आपने रचना को टिप्पणी लायक स्थान दिया ,
में स्वतंत्र विधा लेखन का अनुयायी हूँ , जिस कारण मात्रा एवम् तकनीकी
खामियाँ नज़र आएँगी , पर मे आप सभी को ये विश्वास दिलाना चाहता हूँ ,
की में इस और पूरा ध्यान दूँगा , और आप सबकी कसोटी पर खरा उतरने
का प्रयास करूँगा , आप सब का स्नेह एवम् मार्गदर्शन आपेच्छित हे .

सादर ,

अश्क

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 2:01pm

आदरणीय अशोक जी सादर
आपकी इस रचना के भाव सुंदर हैं
लेकिन इन्हे पिरोया सही नहीं गया है
यदि आप ग़ज़ल कह रहे हैं तो फिर वज्नोबह्र पर संयत करें
और यदि आप तुकांत कविता कहने की कोशिश कर रहे हैं तो मात्रा गणना को साधें
आपने कथ्य कहने की क्षमता है तो क्यूँ न उसका शृंगार किया जाए
उसे सँवारा जाए ताकि पढ़ने वाला आह वाह करने में विवश हो जाए

सादर

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 1:58pm
एक अच्छी द्विपदी आदरणीय अश्क जी! लेकिन यह गजल हो सकती है,थोड़ा सा प्रयास और किया जाना चाहिये
इन पंक्तियों के लिये खास तौर से दाद कुबूल कीजिये-
वफ़ा ए इश्क़ इस तरह इज़हार करते हैं ,
हम ही से सीख , हम पे वार करते हैं ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
yesterday
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service