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आदरणीय विजय भाई एवं आदरणीय केवल जी,बसंत जी,संदीप जी,पाठक जी,श्याम जी,प्रदीप सर,ब्रिजेश जी,अशोक सर,बागी सर,योगी जी,राजेश जी,एवं प्रिय प्राची जी और राजेश मैंम ..आप सभी का रचना सराहने हेतु कोटि कोटि धन्यवाद...अपना स्नेह इसी तरह बनाये रखिये एवं समय समय पर उचित मार्गदर्शन करिए...आभार
जीवन के खालीपन को बताती अच्छी रचना के लिए बधाई
जिंदगी को अलग अलग लोग अलग अलग तरीके से परिभाषित हैं ! बहुत सार्थक और सुन्दर बात कही है आपने आदरनीय आरती शर्मा जी
जिन्दगी तेरे रूप अनेक, विभिन्न रूपों को बहुत ही करीने से अभिव्यक्त किया गया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीया आरती जी ।
ज़िंदगी के विविध रंग.... कभी उल्लास तो कभी सूनापन
विषमताओं से बेज़ार ज़िंदगी की मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई आ० आरती जी
जिस राह ले जाओ उसी राह चल देती है जिंदगी. आदरणीया आरती जी सुन्दर रचना प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर!
आदरणीया आरती जी:
// कैसी खोखली ये ज़िन्दगी
आगे दौड़ने की होड़ में रह गई पीछे
आधी अधूरी सी ये ज़िन्दगी//
बहुत ही मार्मिक भाव हैं। प्रस्थितियों में उलझे हम सभी मन को कितना सुदृढ़ करते हैं,
फिर भी रह-रह कर कुछ बिखरे टुकड़ों को ख़यालों में आने से रोक नहीं पाते, उन्हें ठेल
नहीं पाते।
सुन्दर भावाभिव्यक्ति। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
जिंदगी के कई रूप,
बिखरी जिंदगी
संवरती जिंदगी
बधाई,
आदरणीया आरती जी
सादर
bahot khoob.....................
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