For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सखी री मोरे अंगना में धूप खिली आज

सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 

मन की प्रणय पाती साजन को मिली आज 

हुआ यकायक मुझे अंदेशा 

भेजा उसने कोई संदेशा 

नेह नीर बिना  शुष्क हुई थी 

देह प्रीत बिना  रुष्ट हुई थी 

लिपट पवन  संग  हिय तरु की डारि  हिली आज 

सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 

आह्लादित  मन लहका- लहका

प्रीत  उपवन  है   महका- महका  

मिले गले जब भ्रमर औ कलिका   

हया दीप संग  जलती   अलिका    

विरहाग्नि से हुई विक्षत चुनरिया सिली आज   

सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 

जाने क्यों ये मन भरमाया 

खुदी  में ढूँढू उसका साया 

इत - उत देखूं लगे वो आया 

झट चौखट  पे दीपक  जलाया 

सागर मन मध्य मौजों की खुशियाँ रिली आज 

सखी री मोरे अंगना में धूप  खिली आज 

*****************************************

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 5:05pm

आदरणीय  लक्ष्मण जी आप सही कह रहे हैं  इन मेलों में ऐसे गीतों की बहार रहती है ऐसा ही कोई लोक गीत सुना था जिसकी धुन पर ये लिखा गया आपकी आत्मीय टिपण्णी उत्साह वर्धन करती है स्नेह बनाए रखिये हार्दिक आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 5:03pm

आदरणीय  प्रदीप कुमार कुशवाह जी आपकी आत्मीय टिपण्णी उत्साह वर्धन करती है स्नेह बनाए रखिये हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 5:01pm

श्याम नारायण वर्मा जी आपकी प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 5:00pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक आपको गीत रुचिकर लगा आपको हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2013 at 4:40pm

सुन्दर लोक गीत इस मौसम के अनुकूल विशषकर राजास्थान में गणगौर के मेले में जो अभी 12 अप्रैल को ही मनाया गया है 

 गाव गाव से लोग जयपुर आते है झुला झूले है तब घूमते झुण्ड में गाते मदमाते है | बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 15, 2013 at 4:29pm

सबके आँगन में ऐसा हि हो जाये 

बहुत सुन्दर भाव लिए गीत. 

आनंद आ गया 

सादर बधाई. 

आदरणीया राजेश कुमारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 15, 2013 at 3:11pm

आदरणीया राजेश जी,

लोकगीत में मात्रिक गेयता के क्या नियम होते हैं , मुझे इसकी जानकारी नहीं है..आदरणीया.

Comment by Shyam Narain Verma on April 15, 2013 at 3:08pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए .....................

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2013 at 3:07pm

प्रिय प्राची  हार्दिक आभार आपको गीत पसंद आया वास्तव में यह एक लोक गीत की लय  पर आधारित है कहीं कहीं गायन में  मात्रा  को गिराकर पढ़ा गया है जैसे नेह नीर बिना को बिन पढ़ कर गायेंगे ऐसे ही दो तीन जगह है मेरी एक मित्र ने गाकर भी सुनाया था फिर भी आपको कहीं ज्यादा खटक रहा है तो आपके सुझावों का इन्तजार है |

Comment by ram shiromani pathak on April 15, 2013 at 2:57pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत ही सुन्दर भाव !हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service