For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीर के बापू ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो एक ही तो रोजी रोटी का सहारा है ये बकरी उसे भी बेचना चाहते हो गोमती ने कलुवे के हाथ से रस्सी छुडाते हुए कहा कलुआ गुस्से में लगभग चीखता हुआ बोला बकरी तो फिर आ जायेगी भागवान देश का इतना बड़ा मंत्री एक गरीब के झोंपड़े में रोज थोड़े ही आता है आएगा तो चार आदमियों के खातिरदारी का बंदोबस्त तो करना ही पड़े है न  तभी तो हमारा भी कुछ उद्धार हो पायेगा । अगले दिन सुबह से कलुवे के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे मंत्री जी का स्वागत सजी धजी नई साडी पहन कर गोमती ने टीका लगा कर किया मेंत्री जी के अंगरक्षक और उनके साथ आई भीड़ से कलुवे का झौपडा भर गया मंत्री जी ने कैमरे  के सामने इतने सारे व्यंजनों में से सिर्फ पानी का एक घूँट भरा इधर- उधर की बातें कर अंत में सबके सामने हाथ जोड़ कर विदा मांगी रास्ते में  एक अंगरक्षक ने पूछ मंत्री जी जो कलुवे ने ये देशी घी की मिठाई का डिब्बा दिया है उसे भी क्या पहले की तरह आपके कुत्तों को ?? बेवकूफ हुआ है क्या पिछली बार की तरह मेरे कुत्तों को बीमार करना है क्या ?देख वो सामने मंदिर आ रहा है कितने पिल्ले ओह सारी बच्चे बैठे हैं  उनको बाटं दो ,जब मंदिर के सामने गाड़ी रुकी तो बोले  अरे अरे रुको मैं बाँट के आता हूँ। और अगले दिन अखबार में मंत्री जी  का भिखारी बच्चों को मिठाई बांटते हुए कुटिल मुस्कान के साथ बड़ा सा फोटो छपा। उधर गोमती सुबह-सुबह अपने बच्चों के दूध मांगने पर बकरी के खाली खूँटे को देखती हुई 

आज कृष्ण कहाँ ?मन में ये सोचती हुई गिलास लेकर पड़ोस में दूध मांगने चल दी। 
********************************************************************************************************************   

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 23, 2013 at 10:10am

आदरणीय अशोक रक्ताले जी रचना पर आपकी मुहर लग गई हार्दिक आभार । 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:22am

आदरेया राजेश कुमारी जी सादर, आज के महान राजनेताओं पर बहुत ही सुन्दर धारदार व्यंग. बहुत बहुत शुक्रिया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 20, 2013 at 10:03am

गन्दी राजनीति  गन्दी मानसिकता से विकसित होती है जो इस मानसिकता के लोग हैं वही राजनीती में आसानी से प्रवेश पाते हैं गरीब कहाँ जाए सतयुग नहीं है घोर कल युग है ,कुंती जी मेरी रचना को आपका स्वर मिला ह्रदय से आभारी हूँ |

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 2:27am

राजेश कुमारी जी , इसी को राजनीति कहते है . साँप भी मरे लाठी भी न टूटे .....गोमती का तो दुर्भाग्य कभी उसका पीछा नहीं छोड़ेगा..

क्योंकि  गरीबी ही उसका सब से बड़ा दोष है .सुंदर कथा .सादर . कुंती .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 18, 2013 at 10:10pm

प्रिय संदीप जी बस इन दोगले चरित्र वाले नेताओं की फितरत को उजागर करने का प्रयास किया है  इस आत्मीय प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 18, 2013 at 10:07pm

प्रिय गीतिका वेदिका जी इन दोगले चरित्र वाले नेताओं को काफी जनता जानने  लगी है किन्तु दूर दराज के गाँव में अभी भी लोग इनको देवता समझ कर उनकी पूजा करते हैं और ये नेता लोग वाहवाही बटोरने के लिए किसी हद तक भी जा सकते हैं आपकी इस आत्मीय प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 10:03pm
आदर्नेया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
बहुत ही तीखी लघु कथा है
यही सच्चाई है आज कल के सफेद्पोशों की
बहुत बहुत बधाई हो आपको
सादर
Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 9:52pm

लेकिन भूख से तड़फडाते भूखे बच्चे और उनकी बेचारी माँ ...निर्विकल्प है :((((((((

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 9:50pm

नेताओं से और उम्मीद भी क्या की जा सके है ....लेकिन नीर के बापू कलुवे को तो समझना चाहिए था ...बहुत समय से नेता भाई लोग ऐसा करते चले आ रहे है न ....सुधरेगें थोड़े ही ...
बहुत सही लेख आदरणीया राजेश कुमारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 18, 2013 at 9:44pm

प्रिय प्राची जी आपको कहानी पसंद आई मर्म की संवेदनशीलता  को आपने महसूस किया  आपकी उत्साह वर्धन करती हुई प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service