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मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

मोरे अँगना मे फूल खिलो आज 

री गोरी मोरे ...............आज

मुख लागे है चंद चकोरा
कोमल कोमल तन है गोरा
लोचन लागे हैं अभिरामा
सोचूँ का दैइ हों मैं नामा

नाचे मनवा हमारो छेड़ साज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

खिल खिल हँसता देखे हमको
चितवन खूब लुभावे सबको
देखत कौन अघाय छवि को
दिन में धूल चटाय रवि को

करे बगिया खुदी पे आज नाज़
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज

सोचूँ जियरा भींच भींच के
कही न माने दे ओं खींच के
बड़ा करूँ मे पुष्प ये कोमल
ज्ञान के जल से सींच सीच के

सारे कुल की रखेगा ये लाज
मोरे अँगना मे फूल खिलो आज


री गोरी मोरे ...............आज


संदीप पटेल "दीप"

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 5:59pm

आदरणीय राजेश जी सादर प्रणाम 

रचना की सराहना हेतु बहुत बहुत आभार 

फिलहाल इंतजार है आपको मिठाई खिलाने का 

स्नेह बनाये रखिये 

Comment by राजेश 'मृदु' on April 16, 2013 at 5:54pm

जय हो, इस रचना से कहीं किसी सत्‍य का संबंध तो नहीं बंधुवर, यदि है तो हमारी मिठाई किधर है, सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 3:31pm

आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
आपकी प्रतिक्रिया का प्रसाद मिला उसके लिए सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए सादर

Comment by vijay nikore on April 16, 2013 at 3:21pm

संदीप जी,

 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 16, 2013 at 12:46pm

आदरणीया केवल जी, आदरणीय अशोक सर जी, आदरणीया कुंती जी, आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय ब्रजेश जी, आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीया राजेश कुमारी जी, आप सभी को यथौचित प्रणाम सहित रचना की सराहना और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 16, 2013 at 12:09pm

प्रिय संदीप बहुत सुन्दर लिखा बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति वाह आँगन में फूल खिलने वाला है शायद अभी से बधाई  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 9:44am

घर आँगन में नन्हें फूल का खिलना.. और उसकी खुशबू से माली का मुग्ध हुआ जाना साथ ही उसके स्वरुप को निखारने के स्वप्न से सजी सुकोमल भाव लिए मनभावन रचना..

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई प्रिय संदीप जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 9:38am

आंचलिकता की खुशबु से गमकती अच्छी रचना हुई है, बधाई प्रेषित करता हूँ । 

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 11:13pm

इस सुन्दर रचना के लिए तथा आंगन में फूल खिलने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!

Comment by coontee mukerji on April 15, 2013 at 11:09pm

बहुत सुंदर सरस श्रृंगारिक रचना मन पुलकित हो गया संदीप जी .हार्दिक बधाई . सादर कुंती .

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