वैसे तो ग़ज़ल का अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है , परन्तु आज हिंदी जनमानस में भी ग़ज़लों ने अपनी गहरी पैठ बना ली है । ग़ालिब , मीर , फैज़ , दाग जैसे नाम आज ग़ज़ल को पसंद करने वाले के लिए अनजाने नहीं । साहित्य में भी ग़ज़लों ने नए पुराने लेखकों को अपनी और आकर्षित किया है । आज समकालीन ग़ज़ल लेखन में एक उर्जावान पीढी सक्रिय है । बनारस में नजीर बनारसी हुए तो जयशंकर प्रसाद ने भी ग़ज़ल लिखी । आज भी उर्दू हिंदी शायरों की एक पूरी जमात काशी में ग़ज़ल की परंपरा को आगे बढ़ा रही है ।
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बधाई
आदरणीय अभिनव जी इस सम्मान हेतु आपको हार्दिक बधाई!
जय हो आदरणीय बहुत बहुत बधाई हो आपको इस सम्मान हेतु
जय हो
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