हास्य - व्यंग
"अंगुली पर नचाती थी"
मेरे एक दोस्त ने, किस्सा कुछ यूँ सुनाया ,
एक मामले में बीमा अफ़सर ने , घोटाला था पाया |
बात, इस हद तक थी बिगड़ी ,
इसमें लगी, उन्हें साजिश कुछ तगड़ी |
मामला था, कि एक महिला की अंगुली कटी ,
अंगुली थी मानो , हीरे से पटी |
अंगुली का हुआ लाखों भुगतान ,
इस सवाल से थे, वे बेहद परेशान |
उन्होंने तुरंत एजेंट को बुलवाया ,
नोटिस दे, भुगतान का कारण पुछवाया |
पूछा , एक अंगुली का करवा लाखों भुगतान ,
ऐसे तो दीवाला निकालेगा, तू नादान |
एजेंट बोला ,मान्यवर जहाँ तक है मेरी यादाश्त ,
महिला के पति की थी, लाखों की जायदाद |
श्रीमान जी यह सच है , मैं नहीं हूँ सिरफिरा ,
मामला बिल्कुल फिट हे ,व नतीजा बिल्कुल खरा |
ग़लत ना समझें ,
वो मेरे किसी रिश्ते नहीं आती थी ,
दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |
अश्क
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
respected shri ashok ji ,
comments from guru like u , boost me to fight ,
many many thanks , hope u will always encourage me .
regards
ashok katyal
ashk
ग़लत ना समझें ,
वो मेरे किसी रिश्ते नहीं आती थी ,
दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |..........वाह! बहुत खूब.
सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई आदरणीय.
ashok ji hasya kabhi maja hua hai badhai hasya rachna ke liye
आदरणीय अशोक कत्याल जी, हा हा हा हह ह ह अतिसुन्दर । बधाई स्वीकारें। सादर,
ग़ज़ब नचाया है साहब
वाह बधाई हो
सादार
अशोक जी,
सच, मज़ा आ गया पढ़ कर।
विजय निकोर
हाहाहा,,,,,,,,,बहुत सुन्दर!हार्दिक बधाई
हाहाहा हाहाहा .............बहुत ज़बरदस्त हास्य लिखा है आ० अशोक कात्याल जी
दरअसल, अपने पति को, उसी अंगुली पर नचाती थी |...........ऐसी काम की उंगुली का बीमा तो लाखों का ही होना था ..हाहः
बधाई इस सुन्दर हास्य पर
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