For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास्य - व्यंग
शादी बनाम बहुमत


एक दिन श्रीमती जी का आसन डोला ,
मेरा छोटा सुपुत्र आकर मुझसे बोला ,
मम्मी बुला रहीं हैं ,

चल रहे हो , वरना खुद आ रहीं हैं ,
कह कर वो भागा ,
लगा तोप का गोला दागा ,

मैं गया , बोला प्राणप्रिय जल्दी फर्माओ ,
क्या है  दुखखबरी , तुरंत सुनाओ ,
बोली , मैं करती हूँ एक ऐलान ,
तुम्हारी, तीन और शादी का फरमान ,

मैं चिल्लाया , किसी तरह ज़िंदगी काट रहा हूँ ,
रबड़ी तुम खाती हो , दोना मैं चाट रहा हूँ ,
तीन और आ जाएँगी , तो कैसे जी पाउँगा  ,
तुम सब ऐश करोगी , मैं ज़िंदा लाश रह जाउँगा ,

मैने कहा , हे देवी , दया करो ,
इस मुश्किल से मुझको जल्द तरो ,
पिछले दिनों , तुम्हारे लिए  साड़ियाँ लाया था ,
साथ तुम्हारे भाई का सूट भी सिलवाया था ,

देखो सब्ज़ी में नमक ज़्यादा होता रहता है ,
बर्तन धोते - धोते , कभी हाथ सोता रहता है ,


आदमी तो ग़लतियों का पुतला है ,
फिर ये किस ग़लती की इत्तला है ,

इस बार आख़िर क्या ख़ाता हो गयी ,
जिसकी , इतनी बड़ी सज़ा हो गयी ,
प्रिय , बदले में जो भी कहोगी , करूँगा ,
अब से पड़ोसन को भी ना देखूँगा ,

वो मुस्कराई , लगा किसी ने बिजली गिराई ,
अज़ी , क्या ठिठोली कर रहे हो ?
यह आज का समाचार पत्र देख रहे हो ,
इसमे एक खबर आयी है ,
उनके भारी बहुमत से जीतने की तरकीब बताई है ,

वहाँ एक मर्द है , और चार - चार बीबी ,
एक दिन और बता रहा था टीवी ,
देखो नाथ , बहुमत का ज़माना है ,
यही बात तो मुझे तुम्हें समझाना है ,
बाद में , जो भी कहोगे वही करूँगी ,
लेकिन पहले मैं बेनज़ीर बनूँगी ,

अश्क

एक आम महिला ने ,सुश्री बेनज़ीर भुट्टो के जीतने के प्रसंग को सन्दर्भ मे लिया है ,

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 4:13pm

वहाँ एक मर्द है , और चार - चार बीबी ,
एक दिन और बता रहा था टीवी ,
देखो नाथ , बहुमत का ज़माना है ,
यही बात तो मुझे तुम्हें समझाना है ,
बाद में , जो भी कहोगे वही करूँगी ,
लेकिन पहले मैं बेनज़ीर बनूँगी ,

आदरणीय अश्क जी 

सादर बधाई.

अश्क  और इश्क में फर्क नहीं ज्यादा 

कहने को तो हैं  अलग अलग 

मगर साथ रहते हैं

 कोई ठीक माने या गलती उसकी 

इश्क हो जाये तो अश्क बहते हैं

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:44am

हा हा हा आदरणीय अश्क साहब कमाल की रचना पंक्ति पंक्ति में हास्य है. मजा आ गया. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on April 25, 2013 at 11:39am

सुन्दर हास्य-व्यंग !

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 24, 2013 at 11:04pm

आदरणीय अश्क जी ...व्यंग्य का पुट लिए हुए हंसने को मजबूर करती अच्छी रचना ,,,,जय श्री राधे 

मैं चिल्लाया , किसी तरह ज़िंदगी काट रहा हूँ ,
रबड़ी तुम खाती हो , दोना मैं चाट रहा हूँ ,
भ्रमर ५ 
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 24, 2013 at 8:58pm

आ0 कत्याल जी,    हा हा हा हहह सुन्दर हास्य-व्यंग।  बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by manoj shukla on April 24, 2013 at 5:44pm
बहुत सुन्दर व्यंग...बधाई स्वीकार करें आदर्णीय
Comment by Usha Taneja on April 24, 2013 at 5:36pm

आदरणीय कात्याल जी, बहुत बढ़िया व्यंग्य! मुबारक हो! 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 24, 2013 at 2:58pm

हा हा हा हा हा, आदरणीय कत्याल जी, प्रसंग को बहुत ही बढ़िया से हास्य रस मे पिरोया है, बहुत खूब, बधाई इस हास्य रचना हेतु |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service