For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! नारी तुम स्तुति की देवी हो !!!

नारी तुम स्तुति की देवी हो!
मां वसुधा सी प्यारी तुम,
संस्कृति की श्रध्दा देवी हो।

नारी तुम प्रगति प्रदर्शक हो!
कर में वीणा-सुरधारा तुम,
चंचलमय मृदुला देवी हो।

नारी तुम धैर्य-बलशालिनी हो!
अबला सीता क्षमा दान तुम,
मां शक्ति की दुर्गा देवी हो।

नारी तुम राधा सी प्यारी हो!
मीरा बाला सी अनुरागिनी तुम,
सती सावित्री सी देवी हो।

नारी तुम देश की कीर्ति हो!
सच्चे माने में इन्दिरा तुम,
भारत-सौभाग्य की देवी हो।

नारी तुम रिश्तों की बंधन हो!
दादी-मां-बहन-पत्नी-पुत्री तुम,
क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 973

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 29, 2013 at 8:09pm

आ0 विजय निकोर जी,  आपका आशीष वचन पाकर मैं धन्य हुआ। आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 29, 2013 at 8:01pm

आ0 आषीश त्रिवेदी जी,  आपका समर्थन पाकर मैं धन्य हुआ। आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by vijay nikore on April 29, 2013 at 6:58pm

 

 

दिमाग में गंभीर चिंतन - जाल फैलाती हुई आपकी पंक्तियाँ सच में सराहनीय बन पडी हैं !

सादर,

विजय निकोर

 

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 29, 2013 at 10:38am

नारी के प्रति सम्मान दिखाती सुंदर रचना जो नारी शक्ति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 9:36am

 आ0 रक्ताले जी,  सादर प्रणाम!  जी,  यह रचना हमारी बहुओं को समर्पित है।  आखिर इन्हीं वहुओं के प्रति ही समाज इतना बुरा वर्ताव क्यों करता है?   यह घृणित कार्य अतिअशोभनीय व निन्दनीय है।    आपको रचना अच्छी लगी।   आपका बहुत बहुत अभार।  सादर,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 28, 2013 at 9:17am

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, सुन्दर रचना प्रस्तुति.मगर  अंतिम पद में "क्यों? बहू सी अग्नि देवी हो।" में देवी की जगह "दाही" लिखा जाना उचित होता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 7:55am

आदरणीय  जवाहर लाल जी,  सुप्रभात!   आपके सानिध्य और आशीष वचन से मेरी रचना सफल हुई।  आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 28, 2013 at 7:52am

आदरणीया तनेजा जी,  सुप्रभात!   आपके प्रसंशनीय वचनों से मेरी रचना सफल हुई।  आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 28, 2013 at 7:10am

उषा जी के विचारों से सहमत!

Comment by Usha Taneja on April 27, 2013 at 10:51pm

अति सुंदर शब्दों में नारी के प्रति पिरोई हुई सम्मान की भावना. काश, सभी इसे अपना सकें! 

नारी को देवियों के रूप में पूजने वाले Kewal Prasad जी, आप धन्य है.

सादर...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
6 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
6 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service