For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह  इसको सौभाग्य मानती----

 

मानव की है फिदरत देखो

सब्ज बाग़ दिखा  पत्नी  को 

बाते करके चुपड़ी चुपड़ी

क्षणभर में ही खुश कर देता |

सिद्ध करने को मतलब अपना

प्यार भरी बातो से उसका 

क्षण भर में ही आतप हरकर 

गुस्सा उसका ठंडा करता |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह इसको सौभाग्य मानती------

 

अति लुभावन वादे करके

बातो ही बातो में पल में

उसके भोले मन को ही

वह बहला फुसला लेता  |

फिर सहला करके तन-मन

उसका छुंवन स्पर्श से

आगोश में लेकर प्यार  से , 

समाहित कर इक दूजे में 

इहलोक से परलोक तक 

मन ही मन में विचरण करता |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह इसको सौभाग्य मानती--------

 

सह्रदयी, प्रेम की प्यासी

स्नेहमयी अरु प्रेम भाव से

तन मन सब कुछ अपना 

निश्छल मन रख ह्रदय में 

प्रियतम को  न्यौछावर करती |

सदियों से भारत की नारी

सौभाग्यवती भवः का -

आशीर्वचन पाकर श्रद्धा से,

सौभाग्य दी देवी समझ 

मन में अपने इठलाती |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह  इसको सौभाग्य मानती--------

 

शक्ति रुपेंण देवी है वह

श्रद्धा रुपेंण देवी भी वही

शांति रूपेण देवी है वह

क्षुधा रूपेण देवी भी वही

दया रूपेण देवी है वह

करुणा की मूर्ति भी वही 

फिर भी सहज भाव से 

सब कुछ अर्पण करके 

अपना सौभाग्य मानती |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह इसको सौभाग्य मानती--------

 

तेरी फिदरत तू ही जाने

एक हकीकत बस वह जाने- 

बिन बांती के जले ने दीपक

बिन लक्ष्मी के घर नहीं बनता

पति-पत्नि में बिना प्यार के

सृजन न स्रष्टि का होता |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह इसको सौभाग्य मानती--------

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 30, 2013 at 4:58pm

आपको रचना पसंद आई, हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 4:45pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 30, 2013 at 4:33pm

रचना भाव पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी, और श्री बसंत नेमा जी,

कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर 

Comment by बसंत नेमा on April 30, 2013 at 11:22am

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह  इसको सौभाग्य मानती-------- सदीयो  से ऐसे ही छ्लती आ रही है नारी....  बिल्कुल सही कहा आदरणीय..  बधाई  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 8:24am

आ0 लड़ीवालय जी,   अतिसुन्दर गीत। वाह- बिन बाती के दीप न जलता...।   दिली बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service