तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती----
मानव की है फिदरत देखो
सब्ज बाग़ दिखा पत्नी को
बाते करके चुपड़ी चुपड़ी
क्षणभर में ही खुश कर देता |
सिद्ध करने को मतलब अपना
प्यार भरी बातो से उसका
क्षण भर में ही आतप हरकर
गुस्सा उसका ठंडा करता |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती------
अति लुभावन वादे करके
बातो ही बातो में पल में
उसके भोले मन को ही
वह बहला फुसला लेता |
फिर सहला करके तन-मन
उसका छुंवन स्पर्श से
आगोश में लेकर प्यार से ,
समाहित कर इक दूजे में
इहलोक से परलोक तक
मन ही मन में विचरण करता |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती--------
सह्रदयी, प्रेम की प्यासी
स्नेहमयी अरु प्रेम भाव से
तन मन सब कुछ अपना
निश्छल मन रख ह्रदय में
प्रियतम को न्यौछावर करती |
सदियों से भारत की नारी
सौभाग्यवती भवः का -
आशीर्वचन पाकर श्रद्धा से,
सौभाग्य दी देवी समझ
मन में अपने इठलाती |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती--------
शक्ति रुपेंण देवी है वह
श्रद्धा रुपेंण देवी भी वही
शांति रूपेण देवी है वह
क्षुधा रूपेण देवी भी वही
दया रूपेण देवी है वह
करुणा की मूर्ति भी वही
फिर भी सहज भाव से
सब कुछ अर्पण करके
अपना सौभाग्य मानती |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती--------
तेरी फिदरत तू ही जाने
एक हकीकत बस वह जाने-
बिन बांती के जले ने दीपक
बिन लक्ष्मी के घर नहीं बनता
पति-पत्नि में बिना प्यार के
सृजन न स्रष्टि का होता |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती--------
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
आपको रचना पसंद आई, हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री श्याम नारायण वर्मा जी
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए …………….. |
रचना भाव पसंद करने हेतु आपका हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी, और श्री बसंत नेमा जी,
कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती-------- सदीयो से ऐसे ही छ्लती आ रही है नारी.... बिल्कुल सही कहा आदरणीय.. बधाई
आ0 लड़ीवालय जी, अतिसुन्दर गीत। वाह- बिन बाती के दीप न जलता...। दिली बधाई स्वीकारें। सादर,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online