वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)
सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।
अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान।
समय आगया अब भी जागो- अगर बचाना हिंदुस्तान ।
देश कि रक्षा कर न सके जो --छीनों उनसे देश कमान।
यम यातना उस ही कैद मे-- नित भोग रहे है अवसाद ।
मेरे लहू का मान रख लो ----- करवा लो इनको आजाद।
जन जन का है नारा अब तो -जंग छेड़ो अरु रखो आन ।
धिक्कार है उस कुर्सी को -----बचा सके न देश की शान |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
जब नौजवानों में जोश आये, कुछ करने का जज्बा, भाव पैदा हो, तो एक शहीद की जीत ही समझना चाहिए आदरणीया
कुंती मुखर्जी | सादर
रचना धर्मिता निभाना अपना कर्तव्य है भाई श्री केवल प्रसाद जी, रचना को सामयिक और बेहतर समझ सराहना
हेतु आपका हार्दिक आभार
.....और क्या कहें ......बहुत सारे सवाल ....दुख जो कह न सकें .....
सर्वजीत तो जीत गया है........पर यह कैसी जीत है ........? .... सादर / कुंती .
आ0 लडीवाला जी, समसामयिक बेहतर व्यंग। लेकिन इसका असर क्या, प्रतिक्रिया कौन, कैसे किस तरह देगा? अभी तो मथुरा बेटा का सिर....और अब यह देश का बेटा.....? कब खौलेगा खून, कब होंगी आंखें लाल, कब हमारे जवान अपनी गोरखा ताकत का प्रमाण देंगे? चीन.. है! चीनी की मिठास लेकर हमारे देश को सुगर की बीमारी भेंट कर रहा है। और.....सरकार..राजनीतिज्ञ...कूटनीतिज्ञ, विदेशी-नीतिज्ञ तथा हमारे राजदूत सभी आंखें बन्द करके उनकी मदद करते रहें हैं। और हम सीटीबीटी एवं शान्ति का श्वेत झण्डा लहरा रहें हैं..और इस झण्डे पर सब लालों रंग का छिड़काव कर रहे हैं। हमें और तीखा व्यंग करके सरकार की चूल को हिलाना ही होगा....जिसकी प्रथम वीर रस रचना आपकी है..दूसरी मेरी होगी...और फिर....। हार्दिक बधाई स्वीकारें..इस जागरण के लिए। सादर,
आपसे सहमती मिली प्रसन्नता हुई,हार्दिक आभार भाई श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी
आपके शब्दों ने रचना की सार्थकता बयाँ करदी, आपका हार्दिक आभार श्री बसंत नरमा जी
धिक्कार है उस कुर्सी को -----बचा न सके देश की आन।
आदरणीय लड़ी वाला जी
सादर अभिवादन
आपसे सहमत
बधाई, रचना हेतु.
वीर छंद पर मेरा यह प्रथम प्रयास है, आपको पसंद आया, हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी
आपको रचना सुंदर लगी यह मेरा सौभग्य, हार्दिक भार आपका भाई श्री मजोज शुक्ला जी
लक्ष्मन ( जी) तेरे तरकस का ये नुकिला तीर .. देखन मे छोटा लगे घाव करे गम्भीर .. बहुत सुन्दर रचना .. बधाई
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