उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।
सुख दुःख दो शिलाएं, इक आए इक जाए।।
हम दोस्त है सभी के
क्यों दुश्मनी निभाएं
सुन्दर भाव संवारें,
अन्तर्मन व्यथाएं ।।1उम्मीद के---
फूलों औ कलियों से
सुगन्धित हैं दिशाएं
अपनी ही आस्था से
बस प्यार को बढ़ाएं।।2 उम्मीद के---
मौसम आये जाये
खुशबहार-पतझड़ से
सुजन में खिन्नता है
दुर्जन खिल खिलाएं।।3 उम्मीद के---
कुछ शहंशाह ऐसे
जो मुल्क बेचते हैं
रोते उदास बच्चे
हर कदम लड़खड़ाएं।।4
उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।
सुख दुःख दो शिलाएं,इक आए इक जाए।।
के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 रामशिरोमणि जी, प्रिय मित्र! आपके स्नेह एवं सराहना के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
बहुत ही सुन्दर भाई केवल प्रसाद जी! हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आ0 बृजेश नीरज भाई जी, आपके उत्साहवर्धन से मन को संतोष मिला। आपके स्नेह के लिए हार्दिक आभार। सादर,
बहुत ही सुन्दर भाई केवल प्रसाद जी! हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आ0 कुशवाहा जी, आपके स्नेह और सराहना से मैं धन्य हुआ। तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 कुन्ती जी, आपका स्नेह और सराहना पाकर मैं धन्य हुआ। तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 अरून अनन्त भाई जी, आपका स्नेह पाकर मैं धन्य हुआ। तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
कुछ शहंशाह ऐसे
जो मुल्क बेचते हैं
रोते उदास बच्चे
हर कदम लड़खड़ाएं
आइये सब मिल देश बचाएं
वंदे मातरम
केवल जी , फूलों औ कलियों से
सुगन्धित हैं दिशाएं
अपनी ही आस्था से
बस प्यार को बढ़ाएं.......काश यह भाव हर किसी के मन में बस जाए ......तो शायद धरती माँ अपनी सपूतों के शोक से बच जाएँ./
सादर / कुंती
बहुत ही सुन्दर भाई केवल प्रसाद जी आपकी लेखनी निखर रही है, ओ बी ओ का प्रभाव दिखने लगा है, हार्दिक बधाई स्वीकारें.
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