!!! नवगीत !!!
अब तो आजा मीत मेरे, पलकें हो गई नम।
गीत में यूं दर्द छिपें हैं, सासें हो गई गर्म।।
जीवन इक पल का लगता है,
दिन लगता इक वर्ष।
रातें तारों जैसी लगती है,
अनगिनती हर पल।।..... अब तो आजा.....
तुम बिन सूनी सब गलियां,
सूना लगता है उपवन।
जलघट बिन पनघट जाती हूं,
छलक-छलक जाता यौवन।।..... अब तो आजा ...
अखिंयां राह बिछी फूलों संग,
बगिया हैं बौराए सब।
प्राण उड़-उड़ जाते पत्तों से,
रूक जाती दिल की धड़कन।।...... अब तो आजा ...
अंधड़ लू सी सांसे चलती हैं,
चांदनी मे जलता तन-मन।
सावन संग घनश्याम न आए,
बरस पड़े नयनों के शब ।।..... अब तो आजा .....
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 गुरूवर सौरभ सर जी, जी सर! आपके आशीष और स्नेह के प्रति तहेदिल से हार्दिक आभारी हूं। सादर,
प्रयासरत रहें..
शुभेच्छाएँ.. .
आ0 कुशवाहा जी, सर जी, नवगीत की सराहना एवं अपार स्नेह के लिए आपका तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
अंधड़ लू सी सांसे चलती हैं,
चांदनी मे जलता तन-मन।
सावन संग घनश्याम न आए,
बरस पड़े नयनों के शब ।।..... अब तो आजा
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
प्यारा सा गीत
बधाई प्रिय केवल प्रसाद जी
सस्नेह
आ0 जवाहर लाल जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 कुन्ती मैम जी, आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आ0 श्याम नारायण जी, आपके उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
अंधड़ लू सी सांसे चलती हैं,
चांदनी मे जलता तन-मन।
सावन संग घनश्याम न आए,
बरस पड़े नयनों के शब ।।..... अब तो आजा .....
बहुत ही सुंदर विरह गीत !
बहुत सुंदर भावभीनी विरहगीत .केवल जी आप तो हर विधा के धनी है . /सादर / कुंती .
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए …………….. |
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