For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों नही लिखती तुमको

कविता 
नही लिखती मैं आजकल तुमको
न  मैं नाराज हूँ न व्यस्त
पर
मैंने तुमसे कुछ  दूरी बनाई  है 
क्योंकि 
तुम जब भी मेरे दिल में उतरती हो 
न जाने कितने 
अनुभव और अनुभूति को 
स्पंदित कर देती हो 
और मैं मजबूर हो जाती हूँ 
तुम्हे पूरी संवेदना के साथ 
अपने  शब्दों में रचने को 
और तुम्हे रचते 
तुमसे एकाकार हो लिख देती हूँ 
अपने सारे सुख-दुःख 
पर 
तुम शांत भी तो नही  रहती 
अपने शब्दों की पायल खनका खनका कर 
तुम मेरे  अर्थ बता  देती हो 
और फिर 
शरू होती है 
उनकी व्याख्या ,समीक्षा और टिपण्णी 
जिनका मेरे सन्दर्भों से 
दूर दूर तक कोई मेल नही होता 
और मैं 
हताश बेबस देखती  हूँ 
और सोचती हूँ 
क्या मैंने तुमको इसीलिए रचा ?

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by aman kumar on May 23, 2013 at 1:49pm

वाह… बहुत सुन्दर….
लाजवाब…

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2013 at 11:42pm

भावों को सुन्दर शब्द दिए हैं आदरणीया सदर बधाई स्वीकारें.

Comment by Priyanka singh on May 16, 2013 at 9:16pm

बहुत ही सुन्दर रचना......सादर बधाई हो.......

Comment by दिव्या on May 16, 2013 at 6:59pm

वाह बहुत खूबसूरती से दिल के भावो को शब्दों के जरिये उकेरा है 

Comment by vijay nikore on May 16, 2013 at 6:35pm

आदरणीया पूनम जी:

 

बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर रचना ।  निम्नांकित पंक्तियाँ बहुत भाईं...

 

// तुम शांत भी तो नही  रहती 

अपने शब्दों की पायल खनका खनका कर 
तुम मेरे  अर्थ बता  देती हो 
और फिर 
शरू होती है 
उनकी व्याख्या ,समीक्षा और टिपण्णी 
जिनका मेरे सन्दर्भों से 
दूर दूर तक कोई मेल नही होता //
 
बधाई,
विजय निकोर
Comment by राजेश 'मृदु' on May 16, 2013 at 4:40pm

बहुत बधाई इस कविता पर, बहुत ही खूबसूरत विश्‍लेषण आपने किया है

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 4:36pm

क्यों नहीं लिखती" का कारण कागज़ पर सबके सामने रखने हेतु लिख दी कविता आपने अपने और ला दिए 

अपने भाव सामने | बधाई पूनम सिंह जी 

Comment by विजय मिश्र on May 16, 2013 at 3:56pm
प्रत्येक सृजनशील मन की यह जाग्रत व्यथा हैं किन्तु विद्युत का उत्सर्जन टकराहटों से ही होता है और सार्थक रचनाओं का जन्म किसी प्रसवा की पीड़ा से कमतर नहीं होता .भाव की अभिव्यक्ति सुन्दर है . साधुवाद पूनमजी .
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 2:54pm

बहुत सुंदर
दिल के भावों को सफाह पर उकेर दिया है आपने
सादर बधाई हो

Comment by ram shiromani pathak on May 16, 2013 at 1:25pm

बहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको ///

निरंतर प्रयासरत रहिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
15 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service