हो गये सब सर कलम कुछ रोटियों के वास्ते
जैसे उगते हों शज़र बस आरियों के वास्ते
दौरे वहशत पूछिए मत, बढ़ रही कैसी हवस
है परेशां बाप अपनी बच्चियों के वास्ते
कुछ निवाले छीन लेते हैं गरीबों से भले
रोज़ दाना लाएं साहब मछलियों के वास्ते
देश के रक्षक उगाते बेच कर ईमान अब
नोट की फसलें सियासी इल्लियों के वास्ते
दौर है रफ़्तार का, फुर्सत नहीं खुद के लिए
व्यस्त हैं सब कागज़ी कुछ चिन्दियों के वास्ते
मुल्क की तस्वीर से फिर साजिशी बू आ रही
खुल रहे स्कूल इंग्लिश हिंदियों के वास्ते
कोख में ही मार डालीं, बाप ने सब बच्चियाँ
मां तरसती रह गई किलकारियों के वास्ते
क्यूँ गुनाहों से करे तौबा कोई भी “दीप” जब
बह रही गंगा अजल से पापियों के वास्ते
संदीप पटेल "दीप"
Comment
wah wah..............bhut nayepan ke sath sunder rchna
दौर है रफ़्तार का, फुर्सत नहीं खुद के लिए
व्यस्त हैं सब कागज़ी कुछ चिन्दियों के वास्ते ,,,khoob !! ji
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