सबको बरसात अच्छी लगती है
किन्तु कब तक ये अच्छी लगती है।
कम दिनों के लिये सुहानी है
थोडी-थोडी पडे तो पानी है
ज्यादा तो मौत की कहानी है
इसकी कुछ बात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है .......।
सब नदी-नाले ये चलाती है
रास्ते भी यही बनाती है
हमको चलना यही सिखाती है
हर मुलाक़ात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है........
पेड-पौधों का सबका कहना है
साथ इसके सभी को रहना है
कष्ट भी देगी तो सहना है
इसकी हर घात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है.......
इसने देखा पहाड-पत्थर है
सारी धरती करी बराबर है
यह समंदर यही सरोवर है
यह तो दिन-रात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है......
गर्मियों को पछाडने वाली
बिजलियाँ सी दहाडने वाली
रास्तों को उखाडने वाली
फिर भी बरसात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है.......।।
..................................कवि- सूबे सिंह सुजान
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
ram shiromani pathak, bhut bhut dnyawad hn.......
coontee mukerji, aapka bhut bhut shukriya...
Shyam Narain Verma..., ji thanks bhai ji
अरुन शर्मा 'अनन्त', ji aapka shukriya.......ped podhon wali line men barsat ke bare men kahna hai......
गीतिका 'वेदिका'..ji, aapka bhut bhut dnyawad....लेकिन जब यही बारिश जब बाढ़ बनती है तो सचमुच मौत की कहानी बनती है
Jitendra Pastariya, ji aapki bat se sahmat hun, aapko achchha laga aapka danyawad.. कोई प्राणी, पेड़ पौधों, नदियाँ, नाले, धरती, पहाड़ ..सभी बड़ी से इन चार महीनो का इंतजार करते है! परन्तु यही बारिश जब अपना अनुशाषन तोड़ देती है तो बड़ी समस्याऐं प्रगट हो जाती है! किसान भी बड़ी बेसब्री से बारिश का इंतजार करता है, क्योकि उसके बाकी के आठ माह बारिश पर ही निर्भर होते है! सारी धरती पर बारिश से ही इतना पानी एकञित होता है कि सभी प्राणी व पेड़ पौधे पानी का अगली बारिश तक उपयोग कर सकें! ...सुंदर कविता के लिए आदरणीय...हार्दिक बधाई व शुभकामनाऐं
पेड-पौधों का सबका कहना है
साथ इसके सभी को रहना है
कष्ट भी देगी तो सहना है
इसकी हर घात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है.... बहुत सुंदर.
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