For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल:-जिस रोज़ से आईना

ग़ज़ल:-जिस रोज़ से आईना

जिस रोज़ से आईना मेरे पास नहीं है
औरों को मेरी शक्ल का एहसास नहीं है |

उसको मैं अपने राज़ बताता भी किस तरह
बेहद अज़ीज़ है वो मेरा ख़ास नहीं है |

बूढ़े फ़कीर ने मुझे उड़ने की दुआ दी
फिर ये कहा तकदीर में आकाश नहीं है |

बेशक मेरे हैं पांव हुनर तेरा दिया है
तेरे बगैर चलने की अब आस नहीं है |

तालाब के करीब कहीं यक्ष तो नहीं
आकर क्यों लगा मुझको अभी प्यास नहीं हैं |

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 2:17pm

आभार वीरेंद्र जी |अप की तारीफ़ हौसला देती है |

Comment by Veerendra Jain on December 9, 2010 at 12:06pm
Waah Waah Arun ji...har sher par waah waah nikalti hai..
Comment by Abhinav Arun on December 8, 2010 at 3:47pm
भास्कर जी और नवीन जी पुनः धन्यवाद आप सबका स्नेह हौसला देता है |और सचमुच कमेन्ट बड़ा काम करता है |
Comment by Bhasker Agrawal on December 8, 2010 at 3:07pm
जिस रोज़ से आईना मेरे पास नहीं है
औरों को मेरी शक्ल का एहसास नहीं है |...pahla sher sunkar hi maza aa gaya...
aaj ka sach keh diya...bahut khoob
Comment by Abhinav Arun on December 7, 2010 at 9:41am
कुछ शेर छूट गए थे ...

एक फिक्र तेरी तोहमतें तमाम दे गयी
अफ़सोस तेरा मुझपर ही विश्वास नहीं है |

दिल गुज़रे हुए वक्त के लम्हों में दफ्न है
अब दूरियों के बोझ का आभास नहीं है |

औरों के कहकहों का सबब बनने लगी है
अभिनव' 'के दर्द में ग़ज़ल उदास नहीं है
Comment by Abhinav Arun on December 7, 2010 at 9:37am
लता जी आभारी हूँ कमेन्ट के लिए | रचना की सार्थकता लिखे जाने से ज्यादा उसे पढ़े जाने में ही है |
Comment by Lata R.Ojha on December 7, 2010 at 9:10am
तालाब के करीब कहीं यक्ष तो नहीं
आकर क्यों लगा मुझको अभी प्यास नहीं हैं

bahut sundar ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service