For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूं ही बचपन गया शरारत में

यूं  ही बचपन गया शरारत  में
औ' जवानी गयी  मुहब्बत  में

और जो वक़्त जिंदगी के बचे
वो भी गुज़रे फ़क़त तिजारत में  

बादे मुश्किल मिले जो पल वो भी
हो गए रायगाँ शिकायत में

मुफ्लिसों को भला  बुरा  कहना
है शुमार आज सबकी आदत में


फूल बेलपत्र के अलावा शिव
जान  मांगे है अब ज़ियारत में


फ़ासला तू औ' मैं का जब न मिटे
तो मज़ा ख़ाक है मुहब्बत में


गाँव से वो कपास की कतरन
जाके चुनता है शह्रे सूरत में


वो ही होगा वजीर कल, जो कि
आज है राहजन की शोहबत में

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 2:01am

सुशील जी बहुत दिन के बाद किसी ग़ज़ल में कतअ पढ़ रहा  हूँ अब तो इसका प्रचलन ही नहीं रहा ....

आग के अशआर दमदार रहे ..

इस शेर के उला पर बहर के हवाले से नज़रे सानी फारमा लीजिए ...

फूल बेलपत्र के अलावा शिव
जान  मांगे है अब ज़ियारत में

Comment by Sushil Thakur on July 8, 2013 at 12:04pm

Thanks Dr sab sahi rukn diya hai aapne. aap to aruz ke bhi dr. hai.

 Shukriya Geetika jee, aapki komal bhawnaaoo ka me tahe dil se qadr karta hoo.

Jitendra bhai ko dhanyawad meri hosala afjai ke liye.

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 7, 2013 at 9:52pm
आदरणीय सुशिल ठाकुर जी 
 
वाह वाह वाह , क्या बात हैं . 
फाइलातुन मुफ़ाइलुन  फेलुन 
फाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन 
 
Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:09am

ये कहूँगी की कुछ भी कह लीजिये किन्तु ये मत कहिये //यूं  ही बचपन गया शरारत  में // ,, शरारत केवल यूँ ही जाने की चीज तो नही,, इन शरारतो ने ही तो अब तक बचपन की यादे ताज़ा रखी है, जो हमे यदाकदा हंसा देती है,, वरना समझदारी में तो रोना ही रोना है!

बहुत ही अच्छा रचना कर्म ,, रचना पर हार्दिक बधाईया!

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 7, 2013 at 12:54am
"मुफ्लिसों को भला बुरा कहना है शुमार आज सबकी आदत में"...वाह! आदरणीय..शुशील जी, बहुत खूब,, सच सभी की आदत में है...""फ़ासला तू औ' मैं का जब न मिटे तोमज़ा ख़ाक है मुहब्बत में""....बहुत ही खूबसूरत, रचना पर हार्दिक बधाईयां

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service