For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद्दार (सच्ची घटना )

ऑफिस के बाहर खड़ा मै फोन पे बात कर रहा था,तभी अचानक एक लड़का मेरे पास आकर खड़ा हो गया ! कुछ देर देखने के बाद मैंने उससे पूछा क्या?
तो उसने मेरे पैरों की तरफ इशारा किया...मै समझा नहीं फिर मै उसके कपड़े जो बहुत ही पुराने और फटे थे ,देखने लगा!!
इतने में उसने अपने थैले से बूट पोलिश करने का ब्रश और एक डिबिया निकाल ली...फिर तो मै समझ गया यह क्या कह रहा था !!

मुझे भी दया आ गयी कहा चालो भाई अब पोलिश कर ही दो...


मैंने जूते निकाले और वो अपने काम में मस्त ...मै बस उसका हाँथ देख रहा था बहुत लगन से जूते पोलिश कर रहा था !!
जूते पोलिश हो जाने के बाद मैंने उसे २० रुपये का नोट दिया !फिर मैंने कहा अब ठीक है जाओ !!
खुद्दारी तो देखो उसकी ...बोल साहब केवल १० रुपये ही होते है ये लीजिये आपके १० रुपये !!मै तो उसे देखता ही रहा गया !!

फिर मैंने उसे कहा बेटा मै ये पैसे तुझे ख़ुशी से दे रहा हूँ ले ले,वो बोला  साहब गरीब हूँ भिखारी नहीं ......इतना कहकर वो चल दिया !!

मै काफी देर तक सोचता रहा,हे ईश्वर क्यूँ ऐसे लोगों को ही गरीब बनाता है !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 11, 2013 at 11:19pm

खुद्दारी अमीरी गरीबी नहीं देखती. भाई राम शिरोमणि पाठक जी  सुन्दर सत्य लघु कथा. 

Comment by MAHIMA SHREE on July 8, 2013 at 10:27pm

अपने अनुभव को सुंदर अभिव्यक्ति दी है श्री राम शिरोमणि जी .. बधाई आपको .. वाकई में खुद्दारी  आज भी है ..

Comment by Neeraj Nishchal on July 8, 2013 at 4:53pm

bahut sundar

Comment by ram shiromani pathak on July 7, 2013 at 2:32pm

adarneeyaa kavita ji utsah vardhan ke hardik aabhar//saadar

Comment by Kavita Verma on July 7, 2013 at 2:26pm

aisi ghatnao ko sajha karba bahut jaroori hai jisase samaj me jgruti aati hai ..bahut bahut abhar ..

Comment by बृजेश नीरज on July 7, 2013 at 8:38am

ऐसा न होता तो गरीब क्यों होता? भगवान तो इंसान बनाता है। कर्मों से गरीब अमीर हुआ जा सकता है। अब ऐसा कर्म करके इस कलयुग में कौन अमीर हो सकता है भला।
इस घटना को साझा करने के लिए आपका आभार!

Comment by ram shiromani pathak on July 6, 2013 at 7:21pm

हार्दिक आभार भाई जीतेन्द्र जी//सादर 

Comment by ram shiromani pathak on July 6, 2013 at 7:20pm


हार्दिक आभार आदरणीया प्राची जी //आप सही कह रही है मैंने आजतक कोई लघुकथा लिखा नहीं,तो उसकी कोई जानकारी नहीं है कैसे लिखते है किन किन बातों पर ध्यान देना चाहिए//आगे से ध्यान रखूँगा/आप ने जिस तरह समझाया है मै पूरी कोसिस करूँगा //प्रणाम सहित हार्दिक आभार

Comment by ram shiromani pathak on July 6, 2013 at 7:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on July 6, 2013 at 7:11pm

जी आदरणीया  कुन्ती दीदी सही कहा आपने// हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
23 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service