For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोया है कोई … नवगीत /वेदिका

घास का इक नर्म 

बिछौना बनाकर 

ओढ़ कर नीले  

गगन की सर्द चादर 

सोया है कोई …

ओस बिखरी है जो 

हरी हरी घास पर 

साँस भर भर आई 

हर साँस पर 

रोया है कोई …. 

कहीं पुरवाइयों में 

ओस की रुलाइयों में 

चूड़ियों सा चटका है 

टूटा, मेरी कलाईयों में 

बिखरा है कोई …

गर्म लहू जमा वह 

या ठंडी बरसात है 

कुहासे का झाग 

या तो चीख की आग

भिगोया है कोई … 

कत्थई निगाहें दौड़ी 

कितने सफेद कोस 

दर्द धूप में उड़ी,नर्म

आसुंओं की ओस 

खोया है कोई …. 

                 गीतिका 'वेदिका' 

 

मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 1182

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on July 10, 2013 at 2:31pm

आदरणीया वेदिका जी,अतिसुन्दर प्रस्तुति।बधाई स्वीकारें //सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on July 10, 2013 at 1:28pm

बहुत ही शानदार लेखन । अंतिम चार पंक्तियां अत्‍यधिक खूबसूरत हैं

कत्थई निगाहें दौड़ी 

कितने सफेद कोस 

दर्द धूप में उड़ी,नर्म

आसुंओं की ओस 

खोया है कोई ….

आपको ढेरों बधाई इस रचना पर

Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 1:22pm

 बहुत ही सुंदर नवगीत , बार बार पढ़्ने को दिल चाहे.

सादर

कुंती

Comment by वेदिका on July 10, 2013 at 10:10am

आदरणीय शिज्जू जी! 

आपकी सलाह का बहुत बहुत शुक्रिया, अपने गजल लिखने के लिए प्रेरित किया, मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। 

ख्यालात जरुर ही मै गजल के शिल्प में ढालूँगी!

प्रोत्साहन औए स्नेह यूँ ही बनाये रखिये!!       

Comment by वेदिका on July 10, 2013 at 10:07am

आदरनीय केवल भाई जी!

आदरणीय शौर्य जी! 

बहुत बहुत आभार, रचना कर्म को प्रोत्साहित करने हेतु!!  

Comment by वेदिका on July 10, 2013 at 10:06am

आदरणीया महिमा जी!

आभार आपका आपने रचना पर कृपा दृष्टी की 

//यंहां अगर  साँस की जगह पे आँख लिखा जाए तो कैसा रहे..

 

ओस बिखरी है जो 

हरी हरी घास पर 

आँख  भर भर आई 

हर साँस पर 

रोया है कोई// ,,, निश्चित ही आपका सुझाव सराहनीय है।

किन्तु यहाँ मेरे कहने का उद्देश्य 

"साँस भर भर आई 

हरसाँस पर ",,,,, किन्तु यहाँ मेरे कहने का उद्देश्य है हरसाँस   पर साँस भरने की अतिश्योक्ति से है, हरसाँस एक आंचलिक और प्रचलित  शब्द है! 

आशा है मै अपनी बात रखने में सफल रही 

स्नेह बनाये रखे!!   

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 9, 2013 at 11:17pm

वेदिका जी यहाँ आपकी आँखें किसी और के लिए अश्क बहा रही हैं, आपकी भावनाएँ दिल को छू गयीं बेहतरीन रचना,
मैं आपको वो चीज़ दे रहा हूँ जो अपने देश में सुलभ है वो है बिन माँगी सलाह, वो ये की इसी विषय पर आप एक ग़ज़ल लिखिए बाखुदा वो भी मर्मस्पर्शी बनेगा.

Comment by Drshorya Malik on July 9, 2013 at 10:31pm

 बहुत बढ़िया ,बधाई स्वीकारें।   सादर, 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 9, 2013 at 10:04pm

आ0 वेदिका जी,    अतिसुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति।   तहेदिल से बधाई स्वीकारें।   सादर, 

Comment by MAHIMA SHREE on July 9, 2013 at 9:46pm

आदरणीया वेदिका जी ..बहुत बढ़िया .. दर्द के एहसास को जीता नवगीत ... बहुत-२ बधाई

 

 

ओस बिखरी है जो 

हरी हरी घास पर 

साँस भर भर आई 

हर साँस पर 

रोया है कोई

 

यंहां अगर  साँस की जगह पे आँख लिखा जाए तो कैसा रहे..

 

ओस बिखरी है जो 

हरी हरी घास पर 

आँख  भर भर आई 

हर साँस पर 

रोया है कोई

 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service