For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं (राम शिरोमणि पाठक )

गुजरती नहीं रात
संघर्ष करता रहा नींद से,
जब भी लेता हूँ करवट
चुभने लगते है कांटे
यादों के.//1

*****************************************

बहुत आभारी हूँ आपका 

जिंदा तो छोड़ा पागल बनाकर ही सही//2

*******************************************

दिल बहलाने का सामान 
थोडा बहुत इनाम
बस इतने के लिए क्या?
स्वाभिमान बेच दूँ//3

*******************************************

डर की निद्रा में विलीन 

रात ही रात
सुन्दर स्वप्न भ्रान्ति
पतन ही पतन
दुर्बल मानसिकता से ग्रसित
रात्रि का मोह
रक्त सूख गया क्या?
अरे !उठो लड़ो
ये उत्पीडन का राज्य है//4

********************************************

हे ! ईश्वर
ज़रा सुनिए
दर्शन को व्याकुल
दौड़ते
एक दूसरे को रौंदते हुए
आपके सच्चे भक्त आ रहे है//5

****************************************

दुख के सन्नाटे से

लड़ रहा हूँ
तभी तो
आज फिर अकेला हूँ//6

*************************************

चिपकती आँतों का दर्द झेलता 

भूख से छटपटाता रहा
हाय! मरने के पहले
अंतिम हिचकी भी ना आई//7

**************************************

बेवफा खुद

मुझे बेवफा कहने लगे
बेशर्मी की हद तो देखो
कहने लगे नहीं जीना मुझे
ज़हर दे दो
मैंने हँस के कहा
खुद को निचोड़ लो//8

*****************************************

अपने पराये लगने लगे उन्हें
चलो कोई बात नहीं
अरे !लेकिन ये क्या कर डाला
खुशी से उनके पहलू मे जा बैठे
जिनके हाथो मे ख॑जर था//9

*******************************************

खुद को कोई कब तक बचाए
जब सच खुद ही
कपड़े उतार सामने खड़ा हो//10

********************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on July 12, 2013 at 11:11am

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा जी ///*****

Comment by MAHIMA SHREE on July 11, 2013 at 10:35pm

हे ! ईश्वर
ज़रा सुनिए
दर्शन को व्याकुल
दौड़ते
एक दूसरे को रौंदते हुए
आपके सच्चे भक्त आ रहे है//.... उफ़!!! पूरा का पूरा सच ... बहुत  -२ बधाई आ. राम शिरोमणि जी .. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 8:28pm

 आदरणीय भाई केवल जी हार्दिक आभार //सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2013 at 8:23pm

आ0 भाई राम शिरोमणि जी,  वाह! यथार्थ के पथ पर शानदार प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 7:32pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मन जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 7:31pm

आदरणीया प्राची जी आपको क्षणिकाएं अच्छी लगीं ,यही मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है //प्रणाम सहित हार्दिक आभार //सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 11, 2013 at 7:02pm

सुन्दर क्षनिकाए है, थोडा शैली में परिवर्तन चाहती है | जैसे -

खुद को कोई कब तक बचाए            खुद को कोई कब तक बचाए 
जब सच खुद ही                           जब सच खुद ही 
कपड़े उतार सामने खड़ा हो//10         कपड़े उतार सामने आ जाए //

हार्दिक बधाई भाई श्री राम शिरोमणि पाठक जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2013 at 6:54pm

प्रिय राम शिरोमणि जी 

एक एक क्षणिका रुक कर ह्रदय को स्पंदित कर रही है...बहुत सुन्दर.

जिस संवेदनशीलता के साथ इन्हें लिखा गया है..उसके लिए बार बार बधाई 

बहुत सुन्दर.

शुभकामनाएं 

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 6:50pm

बहुत बहुत आभार भाई संदीप  //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 6:49pm

बहुत बहुत आभार भाई राजेश जी  //सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service