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मंद हवा की

लहरों पर बैठ

आकाश ने

हाथों में लिया

सितारों का अक्षत,

अरूणोदय का कुमकुम,

ओस की बूंदें,

बाग से

पुष्प, घास

और तिरोहित कर दी

रात

क्षितिज में।

              - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

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Comment by Sumit Naithani on July 12, 2013 at 9:42am

sunder panktiya


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 12, 2013 at 9:18am

आदरणीय बृजेश जी 

कल्पना का असीम विस्तार जब निर्विकार शब्द पाता है तब जन्मती हैं ऐसी कोमल खूबसूरत रचनाएं ..
बहुत सुन्दर शब्द चित्र 
सादर बधाई 
Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 11:19pm

आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 11:19pm

आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 11:18pm

आदरणीय केवल भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on July 11, 2013 at 11:17pm

आदरणीय राम भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by MAHIMA SHREE on July 11, 2013 at 10:20pm

बहुत ही सुंदर .. बधाई आपको

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 11, 2013 at 9:36pm

प्राकृतिक सौंदर्य को आपकी रचना के मध्यम से अनुभूति का एक अलग ही आनंद है, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें | 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2013 at 8:04pm

आ0 बृजेश भाई जी,   अतिसुन्दर अभिव्यक्ति।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by ram shiromani pathak on July 11, 2013 at 7:54pm

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने//////हार्दिक बधाई  आपको 

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