सूरज की लालिमा और
उसे इस कदर थका हुआ देख ...
पंक्षियों को लौटते देख
दरख्तों के साये लंबे होते देख
ये आभास हुआ कि
सूरज डूबने वाला है
बच्चों का कलरव
गाड़ियों का सड़क पर
अचानक भागते हुये देख
यह एहसास हुआ
कि....
ये दिन डूबने वाला है
फिर आंखे मूंदकर
मैंने डूबते सूरज से कुछ मांगा
इस बात से बेपरवाह
कि डूबती हुयी चीज
किसी को कुछ नहीं दे सकती
जो खुद अँधेरों मे डूब रहा हो
वो मुझे रोशनी नहीं दे सकता ...
मगर न जाने क्यूँ
मुझे ...
ये मंजर....
ये शाम ...
बहुत पसंद है... बहुत पसंद है ...
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
ढलते हुए सूरज की बेला सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है, अपने इस प्रस्तुति में बेहद गहरे भाव पिरोये हैं. इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.
भावपूर्ण सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।
सादर,
विजय निकोर
गोधुली बेला, मौसम में ठंढक का एहसास, सिंदूरी रंगत लिए दृश्य बरबस उस परमेश्वर को नमन करने हेतु सर नत कर देता है जो सर्व शक्तिशाली है, बहुत ही खुबसूरत रचना, बधाई प्रेषित है ।
संध्या का ढलता सूरज मन में अनगिन भाव जगाता, अनुसुलझे प्रश्न लाता और अकारण ही प्रकृति के उस रूप से सम्मोहित उसे निहारते जाना.. सुंदरता से अभिव्यक्त हुआ है.
हार्दिक बधाई
गाड़ियों का सड़क पर ............यहाँ गाड़ियों को सड़क पर होना चाहिए
अचानक भागते हुये देख
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................." |
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