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सूरज की लालिमा और 

उसे इस कदर थका हुआ देख ... 

पंक्षियों को लौटते देख 

दरख्तों के साये लंबे होते देख 

ये आभास हुआ कि

सूरज डूबने वाला है 

बच्चों का कलरव 

गाड़ियों का सड़क पर 

अचानक भागते हुये देख 

यह एहसास हुआ 

कि.... 

ये दिन डूबने वाला है 

फिर आंखे मूंदकर 

मैंने डूबते सूरज से कुछ मांगा 

इस बात से बेपरवाह 

कि डूबती हुयी चीज 

किसी को कुछ नहीं दे सकती 

जो खुद अँधेरों मे डूब रहा हो 

वो मुझे रोशनी नहीं दे सकता ... 

मगर न जाने क्यूँ 

मुझे ... 

ये मंजर.... 

ये शाम ... 

बहुत पसंद है... बहुत पसंद है ... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 17, 2013 at 1:19pm

ढलते हुए सूरज की बेला सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है, अपने इस प्रस्तुति में बेहद गहरे भाव पिरोये हैं. इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on July 17, 2013 at 1:19pm

भावपूर्ण सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by विजय मिश्र on July 17, 2013 at 12:11pm
अमोदजी ! डूबते सूरज को निहारना आपको अच्छा लगता है ,शाम बहुत प्यारी सी लगती है ,यह प्रकृति से मानव का मनोरम सम्बन्ध है ,इसलिए स्वाभाविक ही है . हाँ डूबते हुए के पास देने को उसका सर्वस्व होता है ,वही किसी महामनीषी की तरह स्वेम को समर्पित कर सकता है .प्राणाहुत करने की शक्ति होती है इनके अंतर में . सुन्दर रचना केलिए आभार .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 16, 2013 at 8:43pm

गोधुली बेला, मौसम में ठंढक का एहसास, सिंदूरी रंगत लिए दृश्य बरबस उस परमेश्वर को नमन करने हेतु सर नत कर देता है जो सर्व शक्तिशाली है, बहुत ही खुबसूरत रचना, बधाई प्रेषित है । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:18pm

संध्या का ढलता सूरज मन में अनगिन भाव जगाता, अनुसुलझे प्रश्न लाता और अकारण ही प्रकृति के उस रूप से सम्मोहित उसे निहारते जाना.. सुंदरता से अभिव्यक्त हुआ है.

हार्दिक बधाई 

गाड़ियों का सड़क पर ............यहाँ गाड़ियों को सड़क पर होना चाहिए 

अचानक भागते हुये देख 

Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 9:44am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."

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