ग़मों के घाव अभी भरे नही i
दवा में लगता मिला ज़हर है i i
बेनाम बस्ती में लोग रहते है i
उन्ही बस्तियों से बना शहर है i i
आदमी -आदमी को नहीं जाना i
ज़िन्दगी सात दिनों का सफ़र है i i
नदियाँ भी डरती है भरने से i
उनसे लगी बड़ी सूखी नहर है i i
खामोश आज सभी हवायें है i
वक़्त का उनपर भी असर है i i
मै भूला अपना रास्ता आज i
पता नहीं जाना मुझे किधर है i i
मौलिक /अप्रकाशित
दिलीप कुमार तिवारी
Comment
सुन्दर प्रयास है दिलीप जी
बने रहें ...
बहर की बात नहीं जानता, रदीफ़ और काफिया तो है, मतले का शेर नहीं है.
नदियाँ भी डरती है भरने से i
उनसे लगी बड़ी सूखी नहर है i i अच्छा कहा है.
सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई..आदरणीय दिलीप जी
22 22 22 22 2 is matra kram par likhne ki koshish kare
udaharan ke tuar par nich likhi rachna padhe ek matla or ek sher pesh kartaa hu
ख्वाब दिखाकर दिलबर गायब है
रातो का वो मंज़र गायब है।।
जिसमे डूबी चाहत की किस्ती।
यारो एक समन्दर गायब है।।
KETAN PARMAR (ANJAAN)
Apse main bhi agree karta hu mam
Dilip Ji yaha par kafi achi achi ghazal kahi hai shayero ne aap unhe padhe unki vidha dekhe aur fir aapni isi rachna me sudhar kare. aapke vichar achhe hai.
Saadar sweekare
आ० दिलीप जी,
प्रस्तुति गज़ल नहीं है..बिना काफिये के, बिना बह्र के गज़ल कैसे?
आप गज़ल की कक्षा के पाठों को ज़रूर देखें ताकि मूलभूत बातों को समझ सकें.
सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online