For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शपथ (लघु कथा)

इतना ओवर री एक्ट क्यूँ कर रही हो ऋतिका! मुंह कब तक फुलाए रखोगी ऐसा  क्या कर दिया मैंने? तुम ही तो चाहती थी कि मैं तुम्हारी तरह समाज सेवा करूँ इसी लिए तो उस एक्सीडेंट के केस को अपनी कार  में उठा के लाया पूरी कार ब्लड से गन्दी भी करवाई ,अपने हॉस्पिटल में एडमिट भी किया और ट्रीट मेंट भी कर रहा हूँ और क्या चाहिए तुमको ? और अच्छी खासी रकम  भी तो ली है ये क्यूँ नहीं कहते!!! ,ऋतिका का दबा गुस्सा मानो अचानक ज्वाला मुखी बनकर फूट  निकला ,केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था ना और ये कार वाला, क्या ये  अंतर मैं नहीं समझती ,कम से कम भगवान् से तो डरो भले ही मैं डॉ. नहीं हूँ पर इतना तो मुझे भी पता है की डाक्टर बनते वक़्त आप लोग क्या-क्या शपथ खाते हो!!!    

 

Views: 708

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2013 at 7:31am

आदरणीय वीनस केसरी जी लघुकथा आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली हार्दिक आभार |

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 12:55am

साईकिल के प्रसंग ने लघुकथा को ऊँचाई दे दी
बहुत शानदार ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 19, 2013 at 2:43pm

हाँ शुभ्रांशु पाण्डेय जी सही कहा ,डाक्टरी भी एक पैसा उघाऊ पेशा बनकर रह गया है लागों की नजरों में भगवान् सम  डॉक्टरों की छवि बिगड़ने लगी है। लघु कथा पर प्रतिक्रिया देने हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 19, 2013 at 2:10pm

आ. राजेश कुमारी जी,  एक सच्चाई जिसे सब जान कर भी अनजान होने का नाटक करते हैं. सेवा भी केवल समरथ को मिलती है. पहाडों की तबाही ने इसे सिद्ध भी किया है...

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 2:54pm

  प्रिय प्राची जी लघुकथा के मर्म का अनुमोदन कर आपने मेरी रचना को मान दिया इसके लिए हार्दिक आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2013 at 2:23pm

सोशल सर्विस सिर्फ..कार वाले एक्सीडेंट में याद आई .... सायकिल वाले में नहीं 

बहुत अच्छी लघुकथा लिखी है आ० राजेश जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 2:13pm

आदरणीया कुंती जी आपकी सराहना से ये लघुकथा धन्य हुई दिल से आभार |

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 1:23pm

थोड़े से श्ब्दों में आपने बहुत ही अच्छा पाठ पढ़ा दिया है. राजेश जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 12:22pm

  सादर आभार ब्रजेश नीरज जी लघु कथा आपको  पसंद आई।   उत्साह वर्धन हेतु   दिल से आभार  आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 12:20pm

  सादर आभार जितेन्द्र जीत जी लघु कथा आपको   पसंद आई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं, हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत मनमोहक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कुंडलिया. . . . होली होली  के  हुड़दंग  की, मत  पूछो  कुछ बात ।छैल - …"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"होली के रंग  : घनाक्षरी छंद  बरसत गुलाल कहीं और कहीं अबीर है ब्रज में तो चहुँओर होली का…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"दोहे*****होली पर बदलाव  का, ऐसा उड़े गुलाल।कर दे नूतन सोच से, धरती-अम्बर लाल।।*भाईचारा,…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172
"कलियुग भी द्वापर काल लगे होली में रंग गुलाल लगे, सतरंगी सबके गाल लगे। होली में रंग गुलाल लगे। इस…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Mar 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Mar 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service