जीवन में हर रंग दिखाता ये पल्लू
सर पर तो पूरित हो जाता है पल्लू
गर्मी में चेहरे का पसीना पौंछता
सावन में छतरी बन जाता है पल्लू
जब- तब शादी में गठबंधन करवाता
दो जीवन को एक बनाता ये पल्लू
झोली बन कर आखत अर्पण करवाता
फिर घूँघट की शान बढाता है पल्लू
कभी कभी नव शिशु का झूला बन जाता
आँखों से तिनका चुन लेता ये पल्लू
रोता बालक माँ के पीछे जब दौड़े
हाथो की ऊँगली बन जाता है पल्लू
सर ढके जग में संस्कारी कहलाता
ढल गया तो कहर बरपाता ये पल्लू
छन छन् छन् छन घर की कुंजी छनकाता
आये आँसू आँख पौंछता है पल्लू
चाहत में प्रेमी का साहिल बन जाता
झगड़े में फंदा बन जाता ये पल्लू
भार उठाने सर की टिकड़ी भी बनता
धोबिन का हंटर बन जाता है पल्लू
स्वदेशी प्राचीन संस्कृति का द्योतक
पुरखों की थाती का मानक ये पल्लू
जाने अब दुनिया में कैसी हवा बही
उड़ा ले गई मरी सिरों से वो पल्लू
जीवन में हर रंग दिखाता ये पल्लू
सर पर तो पूरित हो जाता है पल्लू
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
प्रवीण मलिक जी रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ
आदरणीय अरुण कुमार निगम जी इस पल्लू पुराण पर आपकी सराहना से मेरा भी मन झूम गया हार्दिक आभार आपका
वाह !!!!! पल्लू के हर पहलू को शब्दों के पल्लू में बाँध दिया है, जितनी भी तारीफ की जाये, कम है. बधाई आदरणीया..........
आदरणीय सौरभ जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर मन हर्षित है बहुत बहुत आभार आपका ,जी आपने सही कहा बहुत से पहलु और भी हैं काम करते करते हाथ मुख (केवल अपना ही नहीं ये काम पति देव भी कई बार कर जाते हैं ) पौंछना ,या आपरेशन मजनू से छुपने के लिए प्रेमी युगल का पर्दा बन जाना आदि-आदि
पल्लू के वभिन्न पहलुओं की प्रस्तुतियों पर मन प्रसन्न है, आदरणीया राजेशकुमारीजी .
वैसे एक और पहलू सूचीबद्ध होने से रह गया है -- काम करते-करते हाथ, चेहरा, मुँहपोंछ लेने के लिए सहज उपलब्ध पोंछना के रूप में !
:-)))))
बहुत-बहुत धन्यवाद इस रचना के लिए.
सादर
चन्द्र शेखर पाण्डेय जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया लेखन को सार्थकता प्रदान कर रही है हृदय से आभारी हूँ |
पर्दे के श्रृंगारिक व सामाजिक पहलूओं पर सुन्दरता से प्रकाश डालती आपकी यह रचना अकथनीय सुन्दरता से युक्त है। नमन।
प्रिय प्राची जी पल्लू रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से रचना को जो मान मिला उसके लिए दिल से आभारी हूँ पल्लू पुराण तो बहुत लंबा है बस कुछ ख़ास तत्थ्य ही पेश किये हैं आपको पसंद आये लिखना सार्थक हुआ
आदरणीया राजेश कुमारी जी
स्त्री जीवन के साथ चिरसंबद्ध पहलू है ये पल्लू ...इसपर आपने कितनी बढ़िया रिसर्च की है की मन खुश हो गया ये प्रस्तुति पढ़ कर.
बहुत बहुत बधाई
सादर.
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