खिड़कियाँ घर की तुम खुली रखना
नजरें दर पे ही तुम टिकी रखना
फिर से परवाना न मिटे कोई
बज्म में शम्मा मत जली रखना
दिल मेरा रहता बेक़रार बड़ा
तुम जरा सी तो बेकली रखना
कैद मुझको तू कर ले दोस्त मेरे
जुल्फ की ही पर हथकड़ी रखना
है हवाओं में अब जहर बिखरा
तू मगर आदत हर भली रखना
आरजू दिल में बस मेरे इतनी
अपने दिल में ही अजनबी रखना
आशु वो देगा सौं न पीने की
तू मगर शौके मयकशी रखना
मौलिक व अप्रकाशित
डॉ आशुतोष मिश्र
आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी
बभनान, गोंडा
Comment
बहुत सुन्दर गज़ल, बधाई आदरणीय
//yadi khuli aur jali ka upyog matle me nahee hota to kya maykashi ajnabi aaur hathkadi ke pryog jayaj hote//
.
बिल्कुल जायज़ होते डॉ आशुतोष मिश्रा जी.
बहुत खूब आशुतोष जी,
ग़ज़ल पर ये प्रयास सराहनीय है ...
बधाई
कुछ अशआर बहर के हवाले से और कसे जाने चाहिए
शुभकामनाएं
aaderneeya mahima jee ..meri ghazal par aapkee utsahvardhak pratikriya keliye hardik badhayee ..saadar
खुबसूरत गजल के लिए बधाई आदरणीय
aaderneey yograj jee ..dheere dheere main ghazal kee baareekiya aap sabhee bidwat jano ke margdarshan mein seekh raha hoon ..yadi khuli aur jali ka upyog matle me nahee hota to kya maykashi ajnabi aaur hathkadi ke pryog jayaj hote .aapke is sujhav par main dhyan donga taakee iskee punravritti na ho..margdarshan ke liye hardik abhar ke sath
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी, मतले में "खुली" और "जली" काफिये लेकर आप व्यंजन "ल" को हर्फ-ए-रवी मुक़र्रर कर चुके हैं अत; "हथकड़ी' "अजनबी" या "मयकशी" आदि कवाफी खारिज माने जायेंगे. कृपया इस और ध्यान दें.
बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई!
बहुत सुन्दर! हार्दिक बधाई!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online