For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वज्न- 2122 1212 112

 

कब से बेकल है ये बहार बहुत

रोज़ो-शब तेरा इंतज़ार बहुत

 

इश्क कामिल न हो सका किसी का

आये दुन्या में जाँनिसार बहुत

 

रंग लायेगा आशिकी का जुनूँ   

सुर्ख है अब के रसनो-दार बहुत

 

आदमीयत से है गुरेज़ जिन्हें

अम्न गुज़रे है नागवार बहुत

 

हक़ के बदले में जान का सौदा

इस ज़माने में है ये कार बहुत

 

 

कामिल =पूरा

जाँनिसार =दूसरों के लिये प्राणों की आहूति देने वाला

रसनो-दार =सूली और पाश

गुरेज़= घृणा

कार =पेशा

 

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 2:32pm

आदमीयत से है गुरेज़ जिन्हें

अम्न गुज़रे है नागवार बहुत ...   

बहुत बहुत दाद कुबूल करें, भाईजी.. . 

Comment by Abhinav Arun on August 7, 2013 at 5:47pm

ग़ज़ल अच्छी है हार्दिक बधाई आदरणीय

Comment by vijay nikore on August 7, 2013 at 10:47am

बहुत सुन्दर भाव पिरोए हैं, आदरणीय शिज्जू जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Ketan Parmar on August 5, 2013 at 12:45pm

umda kahan choti behr me

Comment by Ketan Parmar on August 5, 2013 at 12:45pm

हक़ के बदले में जान का सौदा

इस ज़माने में है ये कार बहुत

Bahut umda Sher hai saahab badhaai

Comment by Vinita Shukla on August 4, 2013 at 7:57pm

सुन्दर भाव, अच्छा प्रयास. बधाई.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 7:47pm

हक़ के बदले में जान का सौदा

इस ज़माने में है ये कार बहुत........वाह ! बहुत खूब, क्या कहने

बहुत सुंदर ! हार्दिक बधाई आपको, आदरणीय शिज्जू जी

 

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 6:36pm

वाह! बहुत खूबसूरत! आपको बहुत बधाई!

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 2:16pm

रंग लायेगा एक रोज़ जुनूँ

सुर्ख है अब के रसनो-दार बहुत.. वाह बहुत ही बढ़िया आदरणीय शिज्जू जी बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 3, 2013 at 9:10pm

ओह ....मुझे माफ़ कीजिये..मुझसे ही चूक हुई| दोनों मिसरे बा बह्र हैं|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service