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पावस के कुछ दोहे-

तुम तक ले आईं हमें,पकड़ पकड़ कर हाथ
सुधियाँ तो चलतीं गयीं, पुरवाई के साथ.

मैं हूँ तट का बांसवन,तू नादिया की धार
तूफ़ानों ने कर दिए,मिलने के आसार.

सुधियों के उपवन खिले,उस पर बरसा मेह
फागुन फागुन मन हुआ,सावन सावन देह.

पावस में ऐसे मदन,अकुलाता है प्राण
इंद्रधनुष पर साधता,है बूँदों के बाण.

इत पानी का बुलबुला,उत पानी की बूँद
पानी पानी हो गये,दोनों आँखें मूँद.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 9, 2017 at 9:07am
बहुत सुंदर दोहे।हार्दिक बधाई आ. भाई राजेश जी।
Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 9:22pm

बहुत मनोहारी दोहे  , बधाई राजेश जी 

Comment by vijay nikore on August 18, 2013 at 12:05pm

बहुत मनोहारी दोहे लिखे हैं आपने, आदरणीय। बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 2:25pm

आदरणीय राजेश शर्माजी, अपरिहार्य कारणों से आज आपकी प्रस्तुति पर आ पा हा हूँ. और, भाईजी, मुग्ध हूँ. हृदय से बधाई कह रहा हूँ. 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 8, 2013 at 11:17am

बहुत खूबसूरत मनमोहक दोहे कहे हैं आदरणीय राजेश शर्मा जी..

पाँचों दोहे एक से बढ़ कर एक हैं.

हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by राजेश शर्मा on August 7, 2013 at 9:42pm

सभी आदरणीय ,श्री जवाहर लाल सिंह जी,आशीष नैथानी सलिल जी,अभिनव अरुण जी,जीतेन्द्र गीत जी,बृजेश नीरज जी,महीमा श्री जी,राणा प्रताप सिंह जी,डी पी माथुर जी,सभी का बहुत-बहुत आभार .आपकीसब की प्रशंसा से मन पुलकित हैं ,काश! सब
महानुभावों का आभार अलग अलग मानता .विलंब के लिए मुझे क्षमा करें .आशा है इसी प्रकार मेरा उत्साह वर्धन करते रहेंगे,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 7, 2013 at 7:21pm

बहुत ही सुंदर! सादर बधाई!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on August 5, 2013 at 9:41pm

सुधियों के उपवन खिले,उस पर बरसा मेह
फागुन फागुन मन हुआ,सावन सावन देह.

वाह वाह बढ़िया दोहे आदरणीय !!!

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2013 at 5:35am

वाह वाह पावस के सुन्दर हरे भरे रूप सम , भावपूर्ण मनोरम दोहे , आदरणीय श्री राजेश जी , आप प्रकट हुए ..बहुत बहुत स्वागत ...

पावस में ऐसे मदन,अकुलाता है प्राण
इंद्रधनुष पर साधता,है बूँदों के बाण.

खूबसूरत शब्द चित्र !!

लिखते और शेयर करते रहिये ... ताकि हम सब आपकी  ऐसी ही मधुर रचनाओं का आस्वादन कर आनंदित होते रहे !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 7:27pm

आदरणीय राजेश जी, बहुत ही सहज सुंदर दोहावली, हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

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