For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूरज के घोड़े चलते हैं निरंतर,

इस कोने से उस कोने तक ताकि

प्रकाश फैले कोने कोने में.

लेकिन घोड़ों के घर ही में रहता है अँधेरा.

प्रकाश उनसे ही रहता है दूर.

लेकिन उन्हें बोलने की इजाजत नहीं   

मांगना उन्हें वर्जित है

घोड़े के मुंह में लगा होता है लगाम

उन्हें रूकने, हांफने और सुस्ताने की भी इजाजत नहीं

उन्हें बस चलते रहना है ताकि सूरज चल सके

निरंतर, निर्बाध.

डर है, रुके तो हिनहिना उठेंगे .

उनके आँखों पर लगी होती है पट्टी

ताकि वे देखें सीधा .

अगल बगल की सुन्दरता , रंग बिरंगी तितलियाँ,

उन्हें यह सब देखने की इजाजत नहीं है.

उनका तो काम है चलना, आगे सीधी राह में.

उन्हें चलना है सीधे , बगैर इधर उधर देखे.

बगैर ज्यादा की इच्छा के ताकि प्रकाश फैला रहे.

डर है कि इधर उधर देखा तो हिनहिना उठेंगे.

उनके मुंह पर लगी है जाबी

उन्हें बोलने की इजाजत नहीं है.

डर है  बोला तो हिनहिना उठेंगे ..

घोड़ों के हिनहिनाने से फ़ैल जायेया अँधेरा

उनके घरों में,  जो कभी नहीं बने घोड़े.

घोड़े होते हैं विभिन्न रंगों के

श्वेत, श्याम ,

छोटे घोड़े , बड़े  घोड़े  

दलित,  पिछड़े आदिवासी और सवर्ण घोड़े ..

.......................... नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 1:33pm

बहुत आभार आपका आदरणीय महिमा श्री जी .. आपकी टिप्पणी ने मनोबल बढाया है . 

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2013 at 11:55am

"सूरज के घोड़े ".. कमाल का बिम्ब चुना है आदरणीय ..शुरुआत में एहसास भी नहीं होता की ...अंत में आकर हम ठिठक जायेंगे ..सभ्य समाज का  नंगा सच से रूबरू करती प्रस्तुति के लिए ....बधाई बधाई बधाई ...

Comment by Neeraj Neer on August 15, 2013 at 9:27am

आप सभी आदरणीय सुधि जनों का ह्रदय से आभार .. आपकी टिप्पणियां मनोबल को बढाने  वाली है.   आदरणीय प्राची जी , आदरणीय सौरभ पाण्डे जी आ. विजय निकोरे जी एवं आ. आशुतोष मिश्र जी बहुत बहुत आभार आप का 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 7:38am

कमाल की रचना है नीरज जी ...क्या बेहतरीन प्रतीक चुना है ....इस रचना पर मेरी और से हार्दिक बधाई   सादर 

Comment by vijay nikore on August 15, 2013 at 5:30am

सच्चाई को बयां करती यह रचना

बहुत रसमय और भावपूर्ण है।

ऐसे ही और लिखते रहें।

बधाई, आ० नीरज जी।

 

Comment by annapurna bajpai on August 14, 2013 at 11:50pm

आदरणीय नीरज जी बहुत सुंदर भावों को चुन चुन कर पिरोया है आपने , बहुत बधाई आपको ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 11:14pm

आदरणीय नीरज नीर जी, आपकी इस रचना पर आपको बार-बार बधाई.

आपकी इंगितों की ज़द में बिम्बों का छोर आ गया है. कविता समृद्ध हुई है. शुभकामनाएँ

आपसे आदरणीय अपेक्षाएँ बढ़ गयी हैं.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 10:32pm

अंतिम पंक्ति नें एकदम से झकझोर दिया...

क्या कहूँ निःशब्द हूँ इस संवेदनशील अभिव्यक्ति को पढ़ कर 

बँधुआ श्रमिकों की विवशताओं को बहुत सही अभिव्यक्ति मिली है..

बहुत बहुत शुभकामनाएँ आ० नीरज जी 

Comment by Neeraj Neer on August 14, 2013 at 9:14pm

बहुत बहुत आभार आप सबका 

Comment by vandana on August 14, 2013 at 7:42am

बहुत बढ़िया लिखा है आपने 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service