2122 2122 2122 2122
******************************************
क्या हवायें आज कुछ पैग़ाम ले के आ रही है
धूप भी कुछ गा रही है, छाँव भी इतरा रही है
बेख़याली मे कहीं हम हद के बाहर तो नहीं है
आदमीयत आज बैठी क्यूँ यहां शर्मा रही है
इस जगह पर तो ख़िज़ां ने भी बहारें ओढ़ ली है
इसलिये ही ज़िन्दगी हर बार धोखा खा रही है
गुफ़्तगू कुछ तो मोहब्बत और नफ़रत मे चली है
वो भी कुछ समझा रही है ये भी कुछ समझा रही है
दोस्त मेरे भूख ज्यादा आज ही क्यों लग रही है
जब मुझे कुछ और ज़्यादा जेब भी तरसा रही है
अश्क मेरी आंख से बहना ही क्या काफ़ी नही था
क्यूँ ये बदली आज पानी इस तरह बरसा रही है
बातिलों में वज़्न कितना ?झूठ की औकात कितनी ?
क्यों अन्धेरों में सुलह से रौशनी घबरा रही है
***************
मौलिक एवँ अप्रकाशित्
Comment
बृजेश भाई , आपका बहुत बहुत आभार !!
शुक्रिया भाई अरुन , सराहना के लिये !!गज़ल मे तकाबुले रदीफ़ का दोष है, वीनस भाई जी ने मुझे बताया है पर मै अनजान था !!
वाह आदरणीय बेहद सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने मजा आ गया क्या ग़ज़ल में तकाबुले रदीफ़ का दोष नहीं है कृपया अवगत करायें? इस सुन्दर प्रस्तुति पर मेरी ओर से बधाई स्वीकारें
बहुत ही सुंदर भाव! आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीय गिरिराज सर आप ///अन्धेरों/// को ///अँधेरों/// कर दें तो सही हो जायेगा, अर्द्धाक्षरों के योग से दीर्घ हुई मात्रा को गिराया नही जा सकता,
आदरणीय ,सुरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत बहुत आभर !!
बेख़याली मे कहीं हम हद के बाहर तो नहीं है
आदमीयत आज बैठी क्यूँ यहां शर्मा रही है
प्रिय गिरिराज जी ..काश ये सीख किसी के दिल को छू ले तो आनंद और आये ...सटीक और खूबसूरत भाव
भ्रमर ५
आदित्य भाई , आपको रचना पसन्द आई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया !
बहुत ही सुन्दर रचना ! हार्दिक बधाई और आदर !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online