For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तोमर छंद, प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ तुकान्त चरणान्त गुरु लघु से अंत )

.

चोरी का बुना  जाल  ,फंस गए नन्द लाल

देख दधि मटकी  हाल , हुई मैया  बेहाल

पड़  गया उल्टा दांव,  जब पकड़ा दबे पाँव,

ढूंढें नहि मिली ठांव, जा छुपा तरु की छाँव  

 

कर से पकड़ के कान ,मांगे क्षमा का दान

 बनकर कहे अनजान,रखा  मित्रता का  मान

देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल

उर से लगाया लाल,हुई यशोदा निहाल

 

शांत हुआ जब धमाल,बहि निकले ग्वाल बाल

हँस कर  कहे गोपाल ,जान बची बाल बाल 

 

*********************************** 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

सब को श्रीकष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां   

Views: 818

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:25pm

अच्छी प्रस्तुति है आदरणीया बधाई ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 30, 2013 at 9:16pm

राजेश कुमार झा जी आपकी स्पष्टवादिता की मैं तारीफ करती हूँ तथा जहां जहां आपको शब्द मिस फिट लग रहे हैं वहां उन शव्दों को इस लिए डाला क्यूंकि कुल बारह मात्राओं के सीमित दायरे में बड़े शब्द आ नहीं पाते तथा एक ही वाक्य में बात भी स्पष्ट करनी थी दृग लाल तो रोनी सूरत बनने पर भी हो जाते हैं इसी भाव से लिखा है और नीचे की पंक्ति उस भ्रम को दूर कर रही है वैसे तोमर छंद की बजाय किसी और छंद में प्रयास करना चाहिए था ये मैं सोच रही हूँ सूरदास जी के छंद तो पहले से ही पढ़ती आ रही हूँ
छंद पर आपके विस्तृत विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:38pm

इस रचना में जो दृश्‍य है, उस हिसाब से शब्‍द सही नहीं हैं । कुछ जगह बड़े विचित्र लगे मुझे जैसे :

'कर से पकड़ के कान' -- अब कोई पैर से तो कान पकड़ता नहीं । फिर '

देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल' - अब यहां क्रोधित कौन है यह समझना मुश्किल है, यदि कान्‍हा के हैं तो लाल नहीं होंगें, उनमें कातरता होगी, मासूमियत होगी जिन्‍हें देखकर माता द्रवित हो जाती हैं । 

आप स्‍वयं समझ रही होंगें कि कहां सुधार हो सकती है । दूसरे, मैं एक निवेदन करना चाहूंगा कि सूरदास के कुछ पद पढ़कर पुन: इसे लिखने का प्रयास करें ताकि इस दृश्‍य हेतु पर्याप्‍त भावों का संचार पहले हो फिर रचना की जाए ।  मैं जानता हूं आप इसे बहुत ही सुंदर बना सकती हैं और सदाशय होने के कारण मेरी टिप्‍पणी को अन्‍यथा भी नहीं लेंगी  इसी कारण इतना कुछ लिखने का साहस कर पाया, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 30, 2013 at 11:44am

आदरणीया शुभ्रा शर्मा जी इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 30, 2013 at 11:43am

प्रिय अरुन शर्मा आपको रचना पसंद आई लिखना सार्थक हुआ हृदय से आभारी हूँ 

Comment by shubhra sharma on August 30, 2013 at 11:18am

आदरणीया राजेश कुमारी जी ,तुकांत शब्दों से उत्तम दृश्य दर्शाया है बहुत  बहुत बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 30, 2013 at 11:08am

वाह आदरणीया वाह अति सुन्दर सुन्दर भावों से ओतप्रोत शानदार छंद रचा है आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2013 at 8:54pm

 ब्रिजेश नीरज जी  आपको ये छंद रुचिकर लगा  मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार  जय श्री कृष्ण 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2013 at 8:53pm

आदरणीय विजय मिश्र जी आपको ये छंद रुचिकर लगा  मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार ,जय श्री कृष्ण 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2013 at 8:05pm

जीतेन्द्र गीत जी आपको छंद रुचिकर लगा ,हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 6 शेर के लिए आपका सुझाव अच्छा…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।गजल आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 **** रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service