तोमर छंद, प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ तुकान्त चरणान्त गुरु लघु से अंत )
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चोरी का बुना जाल ,फंस गए नन्द लाल
देख दधि मटकी हाल , हुई मैया बेहाल
पड़ गया उल्टा दांव, जब पकड़ा दबे पाँव,
ढूंढें नहि मिली ठांव, जा छुपा तरु की छाँव
कर से पकड़ के कान ,मांगे क्षमा का दान
बनकर कहे अनजान,रखा मित्रता का मान
देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल
उर से लगाया लाल,हुई यशोदा निहाल
शांत हुआ जब धमाल,बहि निकले ग्वाल बाल
हँस कर कहे गोपाल ,जान बची बाल बाल
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(मौलिक एवं अप्रकाशित )
सब को श्रीकष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां
Comment
अच्छी प्रस्तुति है आदरणीया बधाई ..
राजेश कुमार झा जी आपकी स्पष्टवादिता की मैं तारीफ करती हूँ तथा जहां जहां आपको शब्द मिस फिट लग रहे हैं वहां उन शव्दों को इस लिए डाला क्यूंकि कुल बारह मात्राओं के सीमित दायरे में बड़े शब्द आ नहीं पाते तथा एक ही वाक्य में बात भी स्पष्ट करनी थी दृग लाल तो रोनी सूरत बनने पर भी हो जाते हैं इसी भाव से लिखा है और नीचे की पंक्ति उस भ्रम को दूर कर रही है वैसे तोमर छंद की बजाय किसी और छंद में प्रयास करना चाहिए था ये मैं सोच रही हूँ सूरदास जी के छंद तो पहले से ही पढ़ती आ रही हूँ
छंद पर आपके विस्तृत विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार
इस रचना में जो दृश्य है, उस हिसाब से शब्द सही नहीं हैं । कुछ जगह बड़े विचित्र लगे मुझे जैसे :
'कर से पकड़ के कान' -- अब कोई पैर से तो कान पकड़ता नहीं । फिर '
देखे दृग लाल लाल,क्रोध का थमा उबाल' - अब यहां क्रोधित कौन है यह समझना मुश्किल है, यदि कान्हा के हैं तो लाल नहीं होंगें, उनमें कातरता होगी, मासूमियत होगी जिन्हें देखकर माता द्रवित हो जाती हैं ।
आप स्वयं समझ रही होंगें कि कहां सुधार हो सकती है । दूसरे, मैं एक निवेदन करना चाहूंगा कि सूरदास के कुछ पद पढ़कर पुन: इसे लिखने का प्रयास करें ताकि इस दृश्य हेतु पर्याप्त भावों का संचार पहले हो फिर रचना की जाए । मैं जानता हूं आप इसे बहुत ही सुंदर बना सकती हैं और सदाशय होने के कारण मेरी टिप्पणी को अन्यथा भी नहीं लेंगी इसी कारण इतना कुछ लिखने का साहस कर पाया, सादर
आदरणीया शुभ्रा शर्मा जी इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभारी हूँ |
प्रिय अरुन शर्मा आपको रचना पसंद आई लिखना सार्थक हुआ हृदय से आभारी हूँ
आदरणीया राजेश कुमारी जी ,तुकांत शब्दों से उत्तम दृश्य दर्शाया है बहुत बहुत बधाई
वाह आदरणीया वाह अति सुन्दर सुन्दर भावों से ओतप्रोत शानदार छंद रचा है आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ब्रिजेश नीरज जी आपको ये छंद रुचिकर लगा मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार जय श्री कृष्ण
आदरणीय विजय मिश्र जी आपको ये छंद रुचिकर लगा मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार ,जय श्री कृष्ण
जीतेन्द्र गीत जी आपको छंद रुचिकर लगा ,हार्दिक आभार आपका
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