सुहानी सुबह में
खिली थी नन्ही कली
बगिया गुलजार थी
मेरी मौजूदगी से
आने जाने वाले
रोक न पाते खुद को
नाजुक थी कोमल थी
महका करती थी
माली ने सींचा था
खून पसीने से
देखा था सपना
सजोगी कभी आराध्य पर
कभी शहीदों के सीने पर
फूल भी गौरवान्वित थी
अपनी इस कली पर
कर रही थी रक्षा कांटे भी
पते ढक कर सुलाती थी
कली तो अभी कली थी
उसने खुद के लिए कुछ
सोचा भी नहीं था
लापरवाह थी भविष्य से
न देखी थी दुनिया
बस सुन रखी थी
आस पास के फूलों से
मानव अब चाँद पर जा
धरती को स्वर्ग बना
दुनिया की दूरियाँ सिमटा
आसमान में फूल खिलायेगे
बिना दुनिया देखे
दूसरों की बातों को सुन
विस्वास और उम्मीद से लबरेज
कभी इस डाल से कभी उस डाल तक
हवा के झोंके के साथ
खुद को फूल होने के इंतजार में
ख़ुशी से गर्व में इतराकर इठलाकर
चहकती महकती निहारना चाहती
इंतजार में सावन का
वारिश के बूंदों का
सराबोर कर लुंगी खुद को
पत्ते पर जो बुँदे ठहरेगी
निहारूंगी अपनी अक्श
देखेगी दुनिया मेरी
रूप रंग श्रिंगार
मदहोश होंगे मेरी खुशबू से
सोच में थी मदमस्त
तभी सूरज हुआ अस्त
तेज तूफान का झोंका आया
मुझे मसलकर उड़ा कर ,
उठा कर ले गया अपने संग
सारे सपने हुए भंग
खिलने से पहले
माली भी रोया देखकर
रह न पाई सुरक्षित
अपने घर में ,आँगन में
हे भगवान ,
फूल को सुन्दर कुछ कम बनाओ
पर पंखुड़ियों में कांटे कुछ और लगाओ
शुभ्रा शर्मा 'शुभ '
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आदरणीया विजयश्री जी , आजकल लड़कियों को सुरक्षित रहने के लिए जरुरी है कि भगवान उसे सुन्दर भले कुछ कम बनाये पर आत्म बल भरपूर दे परिश्थितियों से निपटने के लिए , सराहना के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीय केवल जी , कविता की सराहना एवं टिपण्णी हेतु धन्यवाद
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी , आज कल नाबालिक लड़कियों के साथ दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओ पर उनकी मनोदशा एक कलि की मनोदशा के रूप में व्यक्त की है , टिपण्णी हेतु धन्यवाद
आदरणीया विनीता जी , आपने मेरी कविता को मान दिया ,बहुत बहुत धन्यवाद
तेज तूफान का झोंका आया
मुझे मसलकर उड़ा कर ,
उठा कर ले गया अपने संग
सारे सपने हुए भंग
खिलने से पहले
माली भी रोया देखकर
रह न पाई सुरक्षित
अपने घर में ,आँगन में
हे भगवान ,
फूल को सुन्दर कुछ कम बनाओ
पर पंखुड़ियों में कांटे कुछ और लगाओ
भावपूर्ण कृति
बधाई स्वीकारें शुभ्रा जी
आ0 शुभ्रा जी, एक उद्देश्य पूर्ण रचना, जो अपने मकसद में सफल हुई। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आदेर्नीया शुभ्रा जी ..एक कलि की मनोस्थिति को बेहद खूबसूरती के साथ उजागर किया है आपने ..आपके ढेरों बधाई
सुन्दर और गहरे भाव. बधाई आपको, शुभ्रा जी.
आदरणीय जितेन्द्र जी ,आप ने कविता के भाव को जो मान देकर मनोबल बढाया उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया
आदरणीया डॉ प्राची जी , टिपण्णी के लिए धन्यवाद , आप ने जिन बिन्दुओ पर ध्यान आकर्षित कराया है उसके लिए बहुत बहुत तहे दिल से धन्यवाद , आगे भी मार्गदर्शन मिलता रहे , सादर
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