हे धर्मराज! स्वीकार मुझे, प्रति क्षण तेरा संप्रेष रहे
यह जीवन यज्ञ चले अविरल, निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
लोभ-मोह के छद्माकर्षण, प्रज्ञा से नित कर विश्लेषण,
इप्सा तर्पण हो प्रतिपूरित, मन में तृष्णा निःशेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल, निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
कर्तव्यों का प्रतिपालन कर,निष्काम कर्म प्रतिपादन कर,
फल से हो सर्वस मुक्त मनस,बस नेह हृदय मधु-शेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
निवर्ण–सुवर्ण, अभिजात-मलिन, परिजन-परजन, शुभदिन दुर्दिन,
निःस्पर्श रहे हर आडम्बर, मन अंतर ऊर्जित त्वेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
हे धर्म-धरण! हे प्राण-हरण! सत् तत्व ज्ञान, नत शीश शरण,
श्वाँस-प्रश्वाँस तुम्हे अर्पित, निशप्रात दिवस दिनशेष रहे,
यह जीवन यज्ञ चले अविरल निज प्राणार्पण हुतशेष रहे
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
गीत पर आपकी शुभ कामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद आ० केवल प्रसाद जी
रचना के भावपक्ष पर आपकी सराहना के लिए आभारी हूँ आ० सत्यनारायण सिंह जी
गीत के अर्थ और उद्देश्य पर आपकी सराहना के लिए धन्यवाद आ० लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी
रचना की उत्साहवर्धक सराहना के लिए हार्दिक आभार अरुण शर्मा अनंत जी
आदरणीया,
ऐसी समृद्ध रचना के लिए किन शब्दों में अपने भाव व्यक्त किया जाए ..
मैं खुद को असहाय पा रहा हूँ ....
अद्भुत
रचना ने सच में लाजवाब कर दिया है
सादर
अति सुंदर, अनुपम भाव से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई, आदरणीया डा. प्राची जी
आ0 प्राची मैम जी, बहुत ही सुन्दर विनय, आग्रह एवं सादर निवेदन से परिपूर्ण अतिसुन्दर गीत। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आदरणीया डॉ प्राची जी निर्मल पावन तथा समर्पण भाव से परिपूर्ण आपकी यह रचना मानव उत्थान के लिए निश्चित ही प्रेरक एवं सहायक सिद्ध होगी अतएव हार्दिक बधाई.
हे धर्मराज! स्वीकार मुझे, प्रति क्षण तेरा संप्रेष रहे - बहुत सुन्दर और सौद्देश सार्थक गीत रचना अंतर्मन को छू गयी |
बहुत बहुत बधाई डॉ प्राची जी, सादर
अहा!!! अप्रितम प्रस्तुति आदरणीया प्राची दीदी पढ़कर आत्मा तृप्त हो उठी भावों के गहरे सागर में गोते लगाकर उभरने को जी नहीं चाह रहा है. ह्रदयतल से कोटिशः बधाई स्वीकारें.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online