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चुन रविकर सद्मार्ग, प्रतिज्ञा आज लीजिये -

माने मन की बात तो, आज मौज ही मौज |
कल की जाने राम जी, आफत आये *नौज |


आफत आये *नौज, अक्ल से काम कीजिए |
चुन रविकर सद्मार्ग, प्रतिज्ञा आज लीजिये |


रहे नियंत्रित जोश, लगा ले अक्ल दिवाने |
आगे पीछे सोच, कृत्य मत कर मनमाने ||

*ईश्वर ना करे -
आदरणीय पाठक गण-कृपया नौज के उपयोग पर कुछ कहें-

मौलिक/अप्रकाशित-

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2013 at 10:36am

वाह ! भाई रविकर जी ! सुन्दर और सार्थक कुंडलिया ने मन जीत लिया
ऐसी आफत जो नाकौ दम करदे के लए प्रयुक्त शब्द "नौज" बेहद पसंद आया =

रविकर की माना करे, हो ना आफत नौज
उनका सन्देशमानले, आज करे मत मौज ।
हमको है अहसास, सद्मार्ग ही अपनाएं
आप करे विश्वास, सीख आपकी ये भाए
मन पर कर कंट्रोल, अब अक्ल से चुनकर
सच्ची सच्ची बोल, कहते रहे है रविकर .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2013 at 9:22am

आदरणीय रविकर जी 

सुप्रभात!

सुन्दर कुंडलिया...नौज शब्द पहली बार ही पढ़ा और उसका प्रयोग देखा , अर्थानुकूल ही इसका प्रयोग हुआ है सो सुन्दर लग रहा है 

सुन्दर सन्देश देती अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई 

सादर.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 2, 2013 at 7:38pm

आ0 रविकर भाई जी,  सादर प्रणाम!  एक आदर्श कुण्डली, उचित सीख और सधे तेवर...वाह।  हृदयतल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें।  सादर

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