दोहा
मातृभूमि है मेरी, स्वर्ग से भी भली ।
माथा झुका नमन करू, प्रस्सुन ले अंजुली ।।
चैपाई
लहर लहर तिरंगा लहराता । रवि जहां पहले शिश झुकाता
जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव सकल जग गाता
उत्तर हिमालय मुकुट साजे । उन्नत शिखर रक्षक बन छाजे
गंगा यमुना जहां से निकली । केदार नंदा तट है बद्री
दक्षिण में सिंधु चरण पखारे । दहाड़ता जस हो रखवारे
सेतुबंध कर शंभू जापे । तट राम रामेश्वर थापे
पूरब कोणार्क जग थाती । पुरी में जगन्नाथ की ख्याती
पश्चिम में सोमनाथ विख्यात । द्वारिका किसको नहीं ज्ञात ।।
दिल्ली में लाल किला प्राचीर । आगरा ताज यमुन तीर
मां शिशु का है अपना नाता । जय हो जय हो भारत माता
.
................‘‘रमेश‘‘..............
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रमेश जी मेरे कहे को आपने मान दिया, इसके लिए आपका आभार!
हम सभी यहां छा़त्र ही हैं। सभी एक दूसरे से सीख ही रहे हैं।
सादर!
आपका यह प्रयास बहुत ही सुन्दर है! आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन करना चाहता हूं शायद आप सहमत हों कि सिर्फ मात्रा के हिसाब से फिट बैठाने के लिए शब्दों के हिज्जों से छेड़छाड़ उचित नहीं। ऐसा करना रचना की सुंदरता को कम करता है। देशज भाषा में प्रचलित शब्दों और खड़ी बोली के शब्दों के रूप में मात्रा के अनुसार परिवर्तन, दोनों में अंतर है और रचनाकर्म करते समय हमें इस अंतर को समझना होगा।
सादर!
माँ शिशु का है अपना नाता
जय हो जय हो भारत माता !!..... बहुत सुन्दर रचना, बधाई
शुभकामनायें आदरणीय-
प्रयास करते रहें-
बढ़िया प्रयास है यह-
अपने गुरुजनों का कार्य थोडा आसान कर देता हूँ-
आदरणीय आपकी सेवा में सादर
आपकी यही पंक्तियाँ--
मातृभूमि मेरी महा, भली स्वर्ग से जान ।
नमन करें माथा झुका, देव दनुज भगवान् ।।
चौपाई -
लहर लहर झंडा लहराता । सूरज पहले शीश झुकाता |
जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव जग विख्याता ||
उत्तर मुकुट हिमालय साजे । उच्च शिखर रक्षक बन छाजे ||
गंगा यमुना निकली पावन । चार-धाम हैं पाप नशावन ||
आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी
संभवतः आपकी कोई पहली ही रचना मंच पर देख रही हूँ..
बहुत ही सुन्दर भाव हैं हमारे भारत देश की महिमा को प्रस्तुत करते
आपको हार्दिक बधाई .
लेकिन यह विशेष है कि, मात्रिक छंदों के लिए मात्रा गणना के नियमों का और छंद के विधान का पालन करना होता है... इस बारे में कई जानकारी साझा करते हुए आलेख हिन्दी की कक्षा और भारतीय छंद विधान समूह में उपलब्ध हैं... आप उनका अवश्य ही अध्ययन कर लें , ताकि विधानुरूप कोई भी अभिव्यक्ति प्रस्तुत की जा सके..
शुभकामनाएँ
आदरणीय ,
अच्छा प्रयास है , परन्तु दोहा और चौपाईयों के नियम को फिर से देखें |
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.............. |
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