For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात भर सोया नहीं

बस सोचता रहा

कब काली रात जायेगी

रवि अपनी किरणें फैलाएगा


बहुत लम्बी रात थी

जो नहीं था उसे खोजता रहा

अंतहीन धुंध के खौफ से

डरता कांपता

बार-बार खुद से यही पूछता

क्या सफल हो पाऊंगा?

सुबह हुई

पर कोई नयापन नहीं

अचानक

चिर स्थिर खड़े पेड़ को देखा

एक भी पत्ते नहीं थे

शायद !मुझसे कह रहा था

धैर्य रखो बसंत आने तक।
*******************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 11:44am

बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी  //सादर  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 4, 2013 at 11:52pm

बहुत प्रभावशाली रचना, बधाई स्वीकारें राम भाई

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 7:11pm

बहुत बहुत  आभार आदरणीय आशुतोष मिश्र  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 7:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई राजेश कुमार जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 7:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई आशीष जी //सादर 

Comment by राजेश 'मृदु' on September 4, 2013 at 5:53pm

बधाई हो राम जी,

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 5:01pm

चिर स्थिर खड़े पेड़ को देखा

एक भी पत्ते नहीं थे

शायद !मुझसे कह रहा था

धैर्य रखो बसंत आने तक।..इन पंक्तियों ने मुझे बेहद प्रभावित किया आपको ढेरों बधाई 

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 4:50pm

arti sundar bhav 

Comment by ram shiromani pathak on September 4, 2013 at 2:12pm

बहुत  बहुत  आभार  आदरणीया राजेश कुमारी जी उत्साह वर्धन करने के लिए  //सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 4, 2013 at 2:07pm

भाव सम्प्रेषण, प्रवाह अच्छा हो तो एक अतुकान्त  रचना भी वाह कहने को मजबूर कर देती है जो आपकी ये रचना कर रही है दिल से बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति  पर प्रिय रामशिरोमणि जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service