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रविकर रह चैतन्य, अन्यथा उघड़े बखिया-

बखियाने से साड़ियाँ, बने टिकाऊ माल |
लेकिन खोंचा मार के, कर दे दुष्ट बवाल |

कर दे दुष्ट बवाल, भूख नहिं देखे जूठा |
सोवे टूटी खाट, नींद का नियम अनूठा |

खोंच नींद तन भूख, कभी भी देगा लतिया |
रविकर रह चैतन्य, अन्यथा उघड़े बखिया ||

मौलिक / अप्रकाशित

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Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 2:11pm

वाह, वाह! क्या ही सुंदर कुंडली रची है आपने! बहुत खूब! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 11:54am

आदरणीय / आदरेया
आप सभी का बहुत बहुत आभार-
सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2013 at 11:28am

सुन्दर सार्थक छंद के लिए बधाई भाई रविकर जी -

टिकाव किसका कब रहा,नश्वर है सब मान  

टिकाव क्षमता जो धरे,  उसे  करे  बेजान,

उसे करे बेजान, कर ना  सके  वे  धंधा

दूरद्रष्टि  का भान, उनको करे ये अंधा

कौन मिटाए भूख, है किसमे अब समभाव

रखे स्वयं का ध्यान, है संभव तभी टिकाव    - लक्ष्मण 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 4, 2013 at 11:18pm

कर दे दुष्ट बवाल, भूख नहिं देखे जूठा |
सोवे टूटी खाट, नींद का नियम अनूठा |

प्रिय रविकर जी सुन्दर और सत्य ...अच्छी कुण्डलियाँ
बधाई
भ्रमर ५

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 4, 2013 at 10:50pm

आदरणीय रविकर जी, बहुत अच्छी कुंडलिया रचना  बधाई !!

कर दे दुष्ट बवाल, भूख नहिं देखे जूठा |
सोवे टूटी खाट, नींद का नियम अनूठा | -- सत्य वचन !!

Comment by annapurna bajpai on September 4, 2013 at 10:19pm

आ0 रविकर जी सुंदर रचना आपको शुभकामनायें । 

Comment by Ashish Srivastava on September 4, 2013 at 9:24pm


कर दे दुष्ट बवाल, भूख नहिं देखे जूठा |
सोवे टूटी खाट, नींद का नियम अनूठा | सुन्दर कुंडली छंद , मित्र बधाई 

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