For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कई साल बाद लौटा
बहुत कुछ बदला लगा
विकास ही विकास
कस्बा अब शहर हो चुका है

अरे ये क्या ?
जहाँ पेड़ों का एक झुण्ड था
वहाँ बड़ी बड़ी इमारतें
सीना ताने खड़ीं है
मृत पेड़ों की देह पर
ठहाके मारती

कोई दुःख नहीं 
पेड़ों की
अकाल मृत्यु पर 

विकास रुपी राक्षस को बलि देकर

खुश थे लोग

******************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 11:32am

बहुत बहुत आभार आदरणीय रमेश कुमार जी //सादर  

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 11:31am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज जी //सादर  

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 9:47am

एक और बढ़िया प्रस्तुति -
बधाई प्रियवर-

Comment by Abhinav Arun on September 5, 2013 at 9:24am

कोई दुःख नहीं
पेड़ों की
अकाल मृत्यु पर

विकास रुपी राक्षस को बलि देकर

खुश थे लोग

..........दौरे हाज़िर की हकीकत को बयान करती मर्मस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक साधुवाद श्री पाठक जी !!

Comment by vandana on September 5, 2013 at 7:31am

बहुत गहरी सोच 

पेड़ों की 
अकाल मृत्यु पर 

विकास रुपी राक्षस को बलि देकर

खुश थे लोग...

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 4, 2013 at 11:24pm

कोई दुःख नहीं 
पेड़ों की 
अकाल मृत्यु पर 

विकास रुपी राक्षस को बलि देकर

खुश थे लोग

बहुत सुन्दर चित्रण ...उनका दर्द प्रस्फुटित हुआ ..प्रकृति की अवहेलना ही हो रही है शिरोमणि जी ...जागो लोगों जागो
बधाई
भ्रमर ५

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 11:20pm

कोई दुःख नहीं  पेड़ों की अकाल मृत्यु पर 

विकास रुपी राक्षस को बलि देकर

खुश थे लोग !..... बहुत सुन्दर .. बधाई

Comment by annapurna bajpai on September 4, 2013 at 10:08pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी पर्यावरण को लक्ष्य कर कही आपकी रचना बहुत सुंदर है सुंदर भाव । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 4, 2013 at 10:07pm

राम शिरोमणी भाई , सुन्दर रचना , प्रकृति के विनाश की कीमत मे हो रहे विकास पर !! बधाई !!

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 4, 2013 at 9:32pm

बहुत बढिया दीपकजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service