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          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:44pm

उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:42pm

//कभी कभी तो बस वापस आ जाओ ..दिल्ली रहने लायक नहीं है सुनना पड़ता है//

महिमा आप की बात से इतफाक रखता हूँ, खैर लड़ना ही जिन्दगी है, आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ। 

Comment by mrs manjari pandey on September 7, 2013 at 10:29pm

      आदरणीय  बागी जी सच्चाई यही है ! बहुत सी घटनाएं पढी सुनी नाच गईं !   बहुत् बहुत बधाई  !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 3:41pm

आदरनीय बागी जी ...लघु कथा नहीं ये तो लघु लघु कथा है ..आपने तो जैसे इशारों में हेई सब कह दिया ..हार्दिक बढ़ायी 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 3:04pm

आदरणीय गणेश  जी यथार्थ से अवगत कराती बहुत ही सुन्दर लघुकथा //हार्दिक बधाई आपको //सादर  

Comment by नयना(आरती)कानिटकर on September 7, 2013 at 12:53pm

 अत्यंत लघु रूप मे बढ़िया चित्रण हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 12:11pm

 आज के माहौल में अपनी बेटियों के लिए चिंता होना जायज है किन्तु सोचने वाली बात है जब सभी को अपनी बेटियों की चिंता सताती है तो ये हैवानियत क्यों?? क्या दूसरे  की बेटी बेटी नहीं होती  क्यों नहीं ऐसे कानून बनते जिससे इस समस्या का   निदान हो ,कुछ ही शब्दों में आपने बहुत कुछ कह दिया ,इस लघुकथा हेतु आपको हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी |

Comment by vandana on September 7, 2013 at 7:26am

सच है आज इसी डर में जी रहे हैं सभी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 10:37pm

आज बेटियों को घर से बाहर भेज.. हर माता पिता को उनकी कुशलता की चिंता सताती है, पल पल वो इस दुष्-आशंका के साये में जीते हैं कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए..

इस भय को व्यक्त करती सुगठित लघु कथा अपने उद्देश्य में सफल है.

इस लेखन के लिए हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 10:31pm

बहुत बहुत आभार प्रिय संदीप भाई | 

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