For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1270

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:44pm

उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2013 at 7:42pm

//कभी कभी तो बस वापस आ जाओ ..दिल्ली रहने लायक नहीं है सुनना पड़ता है//

महिमा आप की बात से इतफाक रखता हूँ, खैर लड़ना ही जिन्दगी है, आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ। 

Comment by mrs manjari pandey on September 7, 2013 at 10:29pm

      आदरणीय  बागी जी सच्चाई यही है ! बहुत सी घटनाएं पढी सुनी नाच गईं !   बहुत् बहुत बधाई  !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 3:41pm

आदरनीय बागी जी ...लघु कथा नहीं ये तो लघु लघु कथा है ..आपने तो जैसे इशारों में हेई सब कह दिया ..हार्दिक बढ़ायी 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 3:04pm

आदरणीय गणेश  जी यथार्थ से अवगत कराती बहुत ही सुन्दर लघुकथा //हार्दिक बधाई आपको //सादर  

Comment by नयना(आरती)कानिटकर on September 7, 2013 at 12:53pm

 अत्यंत लघु रूप मे बढ़िया चित्रण हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2013 at 12:11pm

 आज के माहौल में अपनी बेटियों के लिए चिंता होना जायज है किन्तु सोचने वाली बात है जब सभी को अपनी बेटियों की चिंता सताती है तो ये हैवानियत क्यों?? क्या दूसरे  की बेटी बेटी नहीं होती  क्यों नहीं ऐसे कानून बनते जिससे इस समस्या का   निदान हो ,कुछ ही शब्दों में आपने बहुत कुछ कह दिया ,इस लघुकथा हेतु आपको हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी |

Comment by vandana on September 7, 2013 at 7:26am

सच है आज इसी डर में जी रहे हैं सभी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 10:37pm

आज बेटियों को घर से बाहर भेज.. हर माता पिता को उनकी कुशलता की चिंता सताती है, पल पल वो इस दुष्-आशंका के साये में जीते हैं कि कहीं कुछ गलत ना हो जाए..

इस भय को व्यक्त करती सुगठित लघु कथा अपने उद्देश्य में सफल है.

इस लेखन के लिए हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 10:31pm

बहुत बहुत आभार प्रिय संदीप भाई | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service