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          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 2:56pm

आदरणीय अभिनव अरुण जी, आपकी टिप्पणी सदैव मार्गदर्शन करती है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 2:55pm

उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार भाई बृजेश जी।  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 2:54pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी, स्नेह बना रहे । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 6, 2013 at 2:22pm

आदरणीय भ्राताश्री जय हो आपका जवाब नहीं इतने कम शब्दों में आपने बहुत ही बड़ी बात कह गए कितनी सरलता से इस लघुकथा का निर्माण किया है आपने. समय ही ऐसा आ गया है कि एक पिता का यह डर स्वाभाविक है. हृदयतल से बधाई स्वीकारें इस लघुकथा पर.

Comment by वेदिका on September 6, 2013 at 11:42am

माता पिता की भी चिंता जायज़ है, और सुरक्षा कारणों के चलते बच्चों के भविष्य से भी नहीं मुह मोड़ा जा सकता| 

कथा का संदेश मर्म लिए है |

बधाई !!

Comment by रविकर on September 6, 2013 at 11:22am

प्रभावी-
लघु कथा-
आभार आदरणीय


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:21am
आदरणीय गणेश भाई , आज की स्थिति मे हर बेटी के पिता का यही डर है और यही चिंता है !! आपकी लघु कथा जैसे गागर मे सागर !!! बहुत बधाई !!
Comment by shubhra sharma on September 6, 2013 at 9:10am

आदरणीय  बागी जी कम शब्दों में अच्छी लघु कथा  ,आपको हार्दिक बधाई

Comment by aman kumar on September 6, 2013 at 8:39am

नीरज भाई ने सही कहा है नारी सुरक्षा मे पुरुषो पर अब भारी जिम्मेदारी है की अपने वर्ग के कलाकित तत्वों को खोज कर नष्ट करे ,

पर एक पिता की मानो दशा आपने सटीक दर्शा दी है |

आपकी कथा सच मे , सत्य कथा  है !

आभार 

Comment by Abhinav Arun on September 6, 2013 at 7:23am

लघुकथा लेखन को एक नयी ऊर्जा नए आयाम दे रहे हैं श्री बागी जी ...जारी रखिये ..सामयिक घटनाक्रमों के सूत्र कथाओं में पिरोने के लिए बहुत बहुत साधुवाद आदरणीय !!

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