(1)
कन्या होती भाग्य से,रखना इसका मान
कन्या घर में आ रही, ले गौरी वरदान |
ले गौरी वरदान, आँगन कुटी मह्कावे,
घर आँगन चमकाय,कुसुम कलियाँ खिलजावे
शिक्षा का हो भान, बनावे शिक्षित सुकन्या
रखती मन में धैर्य,कष्ट सहती है कन्या
.
(2)
जन्मे बेटी भाग्य से, घर को दे मुस्कान
पालन -पौषन साथ ही, पावे शिक्षा ज्ञान |
पावे शिक्षा ज्ञान, समाज बने संस्कारी
नारी का हो मान, करे देश प्रगति भारी |
दे दो ये सन्देश, शिक्षित बेटी हो घर में
घर होवे खुशहाल, जहां घर बेटी जन्मे |
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय लक्ष्मण भाई , शानदार बात , शानदार कुंडलिया !! बधाई !!
बहुत ही अच्छा आदरणीय बधाई
बहुत बढ़िया -
आभार आदरणीय
टकी टकटकी थी लगी, जन्म *बेटकी होय |
अटकी-भटकी साँस से, रह रह कर वह रोय |
रह रह कर वह रोय, निहारे अम्मा दादी |
मुखड़ा है निस्तेज, नारियां लगती माँदी |
परम्परा प्रतिकूल, बेटकी रविकर खटकी |
किस्मत से बच जाय, कंस तो निश्चय पटकी ||
*बेटी
मौलिक / अप्रकाशित
लक्ष्मण भाई , बधाई। बेटियों से ही घर, घर लगता है।
.....बनावे शिक्षित सुकन्या ( सु- प्रवाह में रुकावट है, कन्या ही रखें )।
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