मरा कौन ?
कही पे हिन्दू मरता है ।
कही मुसलमान मरता है ।।
चले जब तलवार नफरत की ।
तो बस इंसान मरता है ॥
कही पर घर जलता है ।
कही मकान जलता है ॥
मगर इन लपटो से मेरा ।
प्यारा हिन्दुस्तान जलता है ॥
न कुछ हासिल तुम्हे होगा ।
न कुछ मेरा भला होगा ।
दरख्तो पे जो बैठे है ।
बस गिद्धो का भला होगा ॥
कही मन्दिर पे है पाँबन्दी ।
कही मस्जिद पे पहरा है ।।
बिछी शतरंज सियासत की ।
धरम तो बस एक मोहरा है ।।
ये सत्ता के पुजारी है ।
ये कानून के मदारी है ।।
इन्हे क्या फिक्र ओरो की ।
ये तो फुटकर व्यापारी है ।।
लडा कर हम को आपस मे ।
तमाशा वो दूर से देखे ।।
लगा कर आग मजहब मे ।
वो अपने हाथ को सेके ।।
तबाही देख कर जंग की ।
खुदा का दिल भी भर आया ।।
बना कर नादान इंसा को।
फिर सोचा मैने क्या पाया ।।
न तूने हिन्दु को मारा ।
न मुसलमान को मारा ।।
मै तो हर दिल मे रहता हू ।
बता तूने किसे मारा ।।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय नेमा जी ..वर्तमान परिदृश्य को इंगित करती इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें
आपकी इस भाव प्रधान रचना को पढ़कर मेरा ही कहा एक शेर याद आता है .....
चलो मिल बैठ कर सोचे लड़ाई क्यों हुई आख़िर,
किसी को फायदा होगा जो आपस में लड़ाता है |
इस रचना में आपने कई कई बातों को खोल कर रख दिया है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय नेमा जी .
वाह! बहुत ही सुन्दर! आपको ढेरों बधाई!
आ0 जितेन्द्र जी, आ0 गिरिराज जी, आ0 शैजु जी , सादर नमन वन्दन , रचना को आप गुणी जनो का अशीष मिला, रचना की सार्थकता सिध्ध हुई , ऐसे ही आप का समय और अशीष मिलता रहे.. यही कामना करता हू \ धन्यवाद शुक्रिया ....
///////कही पे हिन्दू मरता है ।
कही मुसलमान मरता है ।।
चले जब तलवार नफरत की ।
तो बस इंसान मरता है ॥//////
आदरणीय बसंत जी आपकी इस सामयिक रचना में आपने सच्चाई बयान की है, इस रचना के लिये दाद कुबूल करे.
आदरणीय बसंत भाई सुन्दर गीत , दिमाग मे प्रश्न छोडता हुआ ! बधाई !
न तूने हिन्दु को मारा ।
न मुसलमान को मारा ।।
मै तो हर दिल मे रहता हू ।
बता तूने किसे मारा ।। ------------------- ज्वलंत सवाल !! वाह वा !!
न कुछ हासिल तुम्हे होगा ।
न कुछ मेरा भला होगा ।
दरख्तो पे जो बैठे है ।
बस गिद्धो का भला होगा ॥..........बहुत सुंदर
सन्देशप्रद रचना , बहुत बहुत बधाई आदरणीय बसंत भाई
आ0 अखिलेश जी , आप ने रचना को समय दिया बहुत बहुत शुक्रिया धन्यवाद , ऐसे ही अपना अशीष बनाये रखे ......
बसंत भाई ऐसे सामयिक गीत के लिए ( जो कि भारत के लिए 1947 से आजतक सामयिक ही है ) बहुत - बहुत बधाई ।
बस की जगह--" प्यारा हिन्दुस्तान जलता है" भावपूर्ण लगता है।
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