रहमत लाशों पर नहीं, रहम तलाशो व्यर्थ |
अग्गी करने से बचो, अग्गी करे अनर्थ |
अग्गी करे अनर्थ, अगाड़ी जलती तीली |
जीवन-गाड़ी ख़ाक, आग फिर लाखों लीली |
करता गलती एक, उठाये कुनबा जहमत |
रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा रह मत ||
मौलिक / अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गुरुदेव ..आपकी हर रचना में शब्दों के साथ आपका खेलना देखते ही बनता है
आदरणीय रविकर सर बहुत अच्छी बात कही है आपने इस बेहतरीन रचना के लिये बधाई कुबूल करें
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