मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे
आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे
नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल
उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे
जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही
बैसे ही मुझ को जला देंगे ये तेरे जल्वे
हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से
दिल को अब लगता मिटा देंगे ये तेरे जल्वे
क्या तेरे दिल में है कोई न समझ पाया है
पर इशारों को हवा देंगे ये तेरे जल्वे
आज तो खुद भी फ़िदा अपनी अदाओं पर है
एक दिन तुझको रुला देंगे ये तेरे जल्वे
२१२२ २१२२ २२१२ २२
डॉ आशुतोष मिश्र
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वह बहुत उम्दा
डॉ आशुतोष जी अच्छी कोशिश के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारे !!
आदरणीय आशुतोष भाई बहुत अच्छी गज़ल कही है , बधाई !! एक दो मिसरों मी बह्र नही निभी है , ज़रा देख लेंगे !!
2122 2122 2112 22
क्या तेरे दिल/में समझ पा/या न खुदा /अब तक
2122 2122 2211 22
आशु की तुम/ को नसीहत /तुम मानो न /मानो
मुझे लगता है थोडी हड़्बड़ी हो गई है !!
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