For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरी लड़ाइयों का दौर

एक धमाका 
फिर कई धमाके 
भय और भगदड़....


इंसानी जिस्मों के बिखरे चीथड़े 
टीवी चैनलों के ओबी वैन 
संवाददाता, कैमरे, लाइव अपडेट्स 
मंत्रियों के बयान 
कायराना हरकत की निंदा 
मृतकों और घायलों के लिए अनुदान की घोषणाएं 


इस बीच किसी आतंकवादी संगठन द्वारा 
धमाके में लिप्त होने की स्वीकारोक्ति 
पाक के नापाक साजिशों का ब्यौरा 
सीसीटीवी कैमरे की जांच 
मीडिया में हल्ला, हंगामा, बहसें 
गृहमंत्री, प्रधानमन्त्री से स्तीफे की मांग 

दो-तीन दिनों तक

यही सब कुछ 
फिर अचानक किसी नाबालिग से बलात्कार 
किसी रसूखदार की गिरफ्तारी के लिए 
सड़कों पर धरना प्रदर्शन 
मोमबत्ती मार्च....
फिर कोइ नया शगूफा 
फिर कोई नया विवाद 

कितनी जल्दी भूल जाते हैं हम 
अपनी लड़ाइयों को 
कितनी जल्दी बदल लेते हैं हम मोर्चे....
अधूरी लड़ाइयों का दौर है ये 
अधूरे ख़्वाबों के जंगल में 
भटकने को मजबूर हैं सिपाही.....

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 339

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 12:31am

कविता की सार्थकता और उसके हेतु को ढूँढती ऐसी कोई कोशिश तनिक शाब्दिक तो बना देती है, परन्तु कभी-कभी सपाटबयानी अभिव्यक्ति की ताकत बन कर ही सामने आती है. 

धब्बे को धब्बा कहना रचनाकर्म नहीं है, सही है. लेकिन कई दफ़े ऐसा होता है,  संवेदना शिल्प और आचरण के आवरण नहीं चाहती. वह संवाद बनाना चाहती है.

प्रस्तुत कविता ऐसी ही मनोदशा में संवाद बनाने की प्रक्रिया का प्रतिफल बन कर उभरी है.  बहुत-बहुत बधाई हो.. .

हालाँकि, ऐसी कोशिश दोधारी तलवार पर चलने के समान हुआ करता है. अगर कविता सम्भल न पायी तो वही कोरी भाषणबाजी भर हो कर रह जाती है. कवि को सतत सचेत रहना पड़ता है.

सादर

.

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 8:32pm

वाह भाई बहुत बड़ी बात कह दी अपने जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by विजय मिश्र on September 30, 2013 at 5:10pm
आजकी बेतरतीबी और उसमें उलझते ,बहकते इंसानों की बात जो बारदातों में फँसकर रह गयी है ,बेहद सलीके से पेश किया सुहैल भाई . आजका आदमी भूलता नहीं ,अनगिनत सितमों के चक्कर में भटककर रह जाता है ,उसकी मासूम परेशानियों पर तरस खाइए .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 30, 2013 at 4:46pm
आदरणीय , शब्द शब्द सच बयान कर रहे हैं !!बेहतरीन रचना के लिये बहुत बधाई !!
Comment by Meena Pathak on September 29, 2013 at 3:59pm

कितनी जल्दी भूल जाते हैं हम 
अपनी लड़ाइयों को 
कितनी जल्दी बदल लेते हैं हम मोर्चे....
अधूरी लड़ाइयों का दौर है ये 
अधूरे ख़्वाबों के जंगल में 
भटकने को मजबूर हैं सिपाही.................. सही कहा आपने .... सुन्दर रचना, बधाई 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 29, 2013 at 2:33pm

सही कहा आपने , हम भूल गए है की जब तक एक लड़ाई का परिणाम न निकल जाए दूसरी शुरू करना व्यर्थ है ! सुंदर कटाक्ष !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service