For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाते-जाते वो मुझे लाकर की चाबी दे गया।
माल तो सब ले गया लाकर वो खाली दे गया।

मैं कभी तहजीब से बाहर निकल पाया नही ,
एक अदना आदमी फिर मुझको गाली दे गया।

उसने मेरी सादगी का यूँ उठाया फायदा ,

छीनकर दिन का उजाला रात काली दे गया।

जब भुनाने मैं गया उस रोज सेंट्रल बैंक में ,
तब पता मुझको चला कि चेक वो जाली दे गया।

रोटियाँ जो बांटने आया था भूखों को वही ,
खा गया खुद रोटियाँ आधी औ आधी दे गया।

अच्छे -अच्छे पारखी भी खा गये धोखा यहाँ ,
किस कदर पीतल पे वो सोने का पानी दे गया।

सोचता हूँ कैसी मजबूरी थी उसकी जो मुझे ,
चन्द सिक्कों के एवज में रात रानी दे गया।

शुक्रिया ऐ दोस्त तूने ये मेहरबानी जो की ,
रोग बूढ़े आदमी को बेमियादी दे गया।

बन नही पाये कभी दुनिया में दुनियादार वो ,

मौलवी तालीम जिन-जिनको किताबी दे गया।

नाम ले कर जंगे आजादी का वो कष्मीर में ,
हाथ में मासूम बच्चों के दुनाली दे गया।          

मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित

   

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 12:44am

आपकी कोई पहली रचना/ ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ.  आपके कहने का अंदाज़ अलहदा लगा. कुछ शेर तो एकदम से चौंकाते हैं.

गंभीरता से कोशिश करें आदरणीय.

शुभेच्छाएँ

Comment by वीनस केसरी on October 1, 2013 at 10:52pm

अच्छे -अच्छे पारखी भी खा गये धोखा यहाँ ,
किस कदर पीतल पे वो सोने का पानी दे गया।

शानदार ग़ज़ल हुई है ... अशआर में लहजे को जिस तरह से बरता गया है उसके लिए ढेरो दाद

Comment by बृजेश नीरज on October 1, 2013 at 6:57am

बहुत अच्छी प्रस्तुति! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 30, 2013 at 9:59pm

नाम ले कर जंगे आजादी का वो कष्मीर में ,
हाथ में मासूम बच्चों के दुनाली दे गया।  

बहुत खूब रामअवधजी बधाई बधाई 

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 30, 2013 at 8:35pm

उत्साहवर्धन के लिये धन्यबाद

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 8:30pm

मैं कभी तहजीब से बाहर निकल पाया नही ,
एक अदना आदमी फिर मुझको गाली दे गया।//// वाह वाह क्या कहने राम भाई बहुत बहुत बधाई आपको //सादर 

Comment by विजय मिश्र on September 30, 2013 at 5:58pm
"बन नही पाये कभी दुनिया में दुनियादार वो ,
मौलवी तालीम जिन-जिनको किताबी दे गया।

नाम ले कर जंगे आजादी का वो कष्मीर में ,
हाथ में मासूम बच्चों के दुनाली दे गया। "

जबरदस्त हैं और हकीकत को आईना दिखाती है , गज़ल खूबसूरत है और फर्दबयानी आपकी मेहरबानी . शुक्रिया राम अवध जी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 30, 2013 at 8:50am

सुंदर गजल , बधाई आदरणीय राम जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 29, 2013 at 9:14pm

आदरणीय राम भाई , सुन्दर गज़ल के लिये आपको बधाई !!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 29, 2013 at 2:28pm

दिल के तारो को छेड़ दिया आपने ! सच है ये दुनिया का हाल ही ऐसा है ! बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। अहा! क्या कहने भाई जी बेहद शानदार और जानदार ग़ज़ल हुई है। अभी…"
27 minutes ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
7 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
7 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service