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प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.

सागर , सरिता ,

निर्झर , मरू

कलरव करते विहग

सुन्दर फूल , गिरि , तरु

अरुणाई उषा की

रजनी से मिलन  शशि का

जल,  वर्षा , इन्द्रधनुष

कोटि जीव , वीर पुरुष 

सब कितना मंजुल  जग में

प्रकृति का रूप अनूप

लेकिन

नारी, तुम हो जगत में

प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.

......मौलिक एवं अप्रकाशित ....

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Comment

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Comment by D P Mathur on October 1, 2013 at 9:12pm

आदरणीय नीरज जी नमस्कार, सुन्दर रचना की बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:58pm

वाह वाह !! क्या बात है नीरज भाई बहुत सुन्दर बात कही !!!! बहुत बधाई !!

Comment by बृजेश नीरज on October 1, 2013 at 7:35pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 7:33pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय नीरज  जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by विजय मिश्र on October 1, 2013 at 5:02pm
शास्वत सत्य है -आपने रखाभी उतनी ही सुंदरता से है .बधाई नीरजी
Comment by रविकर on October 1, 2013 at 3:26pm

भाग्यवान हो मित्रवर, सही सार्थक सोच |
सुन्दरता शाश्वत दिखे, रविकर नि:संकोच ||

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 1, 2013 at 2:10pm

सच कहा आदरणीय नारी का रूप सबसे सुन्दर है हर रूप में

बधाई हो

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